संविधान-दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह का कुछ विपक्षी दलों ने बहिष्कार क्यों किया, यह समझ में नहीं आता। शायद उन्हें शक था कि सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को न तो मंच पर बिठाया जाएगा और न ही उसे बोलने भी दिया जाएगा। छोटे-मोटे अन्य विपक्षी दलों की उपेक्षा तो संभावित थी ही!