‘ऑक्सीजन’ पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला लिया, दिया नहीं! फ़ैसला यह है कि मोदी की केंद्रीय सरकार जिसने ऑक्सीजन के देशव्यापी वितरण के सारे हक़ अपने आपके लिए कर लिये थे, वह अपने काम को संतोषजनक ढंग से नहीं कर सकी, इसलिए इस काम को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी की सरकार की जगह अपने हाथ में ले लिया है।
कोरोना: मोदी सरकार का इक़बाल ख़त्म!
- विचार
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- 9 May, 2021
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में बैठे जज भी इंसान ही हैं। उनके भी नाते, रिश्तेदार, दोस्त, यार हैं। वे भी अपनों की मौत से वैसे ही दुख पाते हैं जैसे दूसरे। इसलिए लगभग आधा दर्जन हाई कोर्ट एकाएक क्रांतिकारी नज़र आने लगे हैं। कोई इसे नरसंहार बता रहा है तो कोई कुछ, और सुप्रीम कोर्ट भी इस सब पर हाईकोर्ट को स्नब करता नहीं दिख रहा।
इसके लिये कोर्ट ने एक टास्क फ़ोर्स बना दी है जो आने वाले दिनों में इस काम को अपने हाथ में ले लेगी।
सुप्रीम कोर्ट इसके पहले पर्यावरण के मामले में केंद्रीय सरकार के कार्यकलापों को असंतोषजनक पाकर ‘भूरेलाल कमेटी’ गठित कर इससे मिलता-जुलता फ़ैसला कर चुका है। यह पिछली सदी के आख़िर की बात है।