दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की अनुमति दे दी है। कन्हैया और कुछ अन्य लोगों पर 2016 में जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में देशद्रोही नारे लगाने का आरोप है। इस पर कन्हैया कुमार ने कहा है कि वह दिल्ली सरकार को इसके लिये धन्यवाद देते हैं और दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में इसका स्पीडी ट्रायल हो। उन्होंने तंज कसा है कि टीवी वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सत्यमेव जयते भी लिखा है और इसके सहारे एक बार फिर यह कहने की कोशिश है वह इस मामले में बेदाग़ हैं।
राष्ट्रवादी हिंदू नेता की छवि बचाने के लिये केजरीवाल ने दी कन्हैया पर केस चलाने की इजाजत?
- विचार
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- 1 Mar, 2020

वाजपेयी सरकार में अटॉर्नी जनरल रह चुके सोली सोराबजी ने कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मामला चलाये जाने को लेकर कहा था, ‘कन्हैया कुमार ने क्या किया? क्या उसने पकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए? इसके लिए उसकी गिरफ़्तारी? यह अत्यंत ख़ेदजनक है। यह राजद्रोह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक़ राजद्रोह ऐसे कृत्य या प्रवृत्ति को कहते हैं जिससे हिंसा भड़कने या क़ानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका होती है।’
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।