दिल्ली सहित देश भर में पुलिस और प्रशासन ने जिस तरह बंगालियों के विरुद्ध अभियान छेड़ा हुआ है, उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि पुलिस की नज़र में हर बंगाली एक घुसपैठिया है, ख़ासकर अगर वह मुसलमान है। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि उसके पास कोई वैध दस्तावेज़ है या नहीं। हाल में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं जब पुलिस बीजेपी शासित राज्यों में रहने वाले बंगालियों को बांग्लादेश की सीमा में खदेड़ आई है और बाद में पता चला कि वे तो भारतीय हैं।
बांग्ला को बांग्लादेशी भाषा बताकर बंगालियों को क्या संदेश दिया जा रहा है?
- विचार
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- 4 Aug, 2025

फाइल फोटो
बांग्ला को ‘बांग्लादेशी भाषा’ बताकर आखिर बंगालियों को क्या संदेश देने की कोशिश हो रही है? यह विवाद सिर्फ भाषा का नहीं, सांस्कृतिक अस्मिता और राजनीतिक नीयत का भी है। जानिए इसके पीछे छिपा संदेश।
ऐसे ही आठ बंगालियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है जिनके पास से उसे ऐसे दस्तावेज़ मिले हैं जो बांग्ला में लिखे हुए हैं। पुलिस को शक है कि वे बांग्लादेशी हैं और उसने इन दस्तावेज़ों के अनुवाद के लिए दिल्ली स्थित बंग भवन से मदद माँगी है (देखें पत्र)।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश