वैसे तो योगी जी अपने बुलडोजर राज के लिए ही जाने जाते हैं, लेकिन अब लग रहा है कि भाजपा की अंदरूनी लड़ाई में बरतरी हासिल करने और विपक्ष से हारी बाजी फिर छीन लेने के लिए उन्होंने कठोर हिंदुत्व के रास्ते को और धार देने का फ़ैसला किया है। पहले मुजफ्फरनगर में तो स्थानीय पुलिस ने दुकानदारों को अपना नाम लिखने का फरमान जारी किया, यहां तक कि चौतरफा किरकिरी होने पर उसे स्वैच्छिक बता दिया। लेकिन ऐसा लगता है कि इस पर हो रही धुर-विभाजनकारी प्रतिक्रियाएं देखने के बाद योगी को यह आपदा में अवसर लगा और उन्होंने पूरे प्रदेश में इसे लागू करने का एलान कर दिया है। इसे हिंदुत्व खेमे में अपनी supremacy स्थापित करने और प्रदेश में तीखे ध्रुवीकरण के लिए वह इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उपचुनाव में सफलता मिल सके और उसके बल पर वे पार्टी के अंदर घेरेबंदी में लगे अपने प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटा सकें।
यह पूरी कार्रवाई धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र के बुनियादी मूल्यों के ख़िलाफ़ तो है ही, संविधान में प्रदत्त भेदभाव व छुआछूत के विरुद्ध समानता के अधिकार तथा आजीविका के अधिकार पर सीधा हमला है। जाहिर है इसे मुसलमानों को समाज में अलग-थलग करने, उनकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए अंजाम दिया जा रहा है। हिंदू युवा, जिनमें अधिकांशतः गरीब, पिछड़े, दलित परिवार के युवा हैं, वे अब बड़ी संख्या में कांवड़ यात्रा में भाग लेते हैं, उनके दिल-दिमाग में नफ़रती जहर भरना इसका उद्देश्य लगता है। लोकसभा चुनाव में इन तबकों की विपक्ष की ओर जो निर्णायक शिफ्टिंग हुई है उसे भाजपा पलटना चाहती है।















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