बीते गणतंतत्र दिवस को ‘भारत का संविधान’ लागू हुए 70 साल पूरे हो गए हैं। इस ख़ास मौक़े पर लोकसभा सचिवालय ने इस साल अपने कैलेंडर का विषय संविधान रखा है। कैलेंडर के हर पेज पर संविधान की ख़ूबियों का ज़िक्र है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि संविधान पर आधारित इस कैलेंडर पर संविधान की आत्मा समझी जाने वाली इसकी प्रस्तावना पूरी तरह ग़ायब है। ऐसा ग़लती से हुआ या फिर जानबूझ कर प्रस्तावना को कैलेंडर पर नहीं छापा गया है? यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है।