जैसे-जैसे बिहार में चुनाव अपने आख़िरी चरण में पहुँचा राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की रैलियों में भीड़ बढ़ती गई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तेजस्वी पर हमला भी बढ़ता गया। तेजस्वी यादव भी पलटवार करते रहे। चुनाव की शुरुआत में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी को एक 31 साल के नौसिखिया लड़के की तरह देखा। लेकिन पहले चरण के अंतिम दिन उन्होंने तेजस्वी पर जोरदार हमला बोलते हुए उन्हें ‘जंगलराज का युवराज’ कहा।
नरेंद्र मोदी द्वारा तेजस्वी पर हमले से जाहिर होता है कि उन्होंने तेजस्वी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर लिया है। यह तेजस्वी की पहली बड़ी जीत है। तेजस्वी ने अपनी मेहनत, रणनीति और अपने भाषणों से बिहार की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वह नौजवानों को तेज़ी से आकर्षित कर रहे हैं। बेरोज़गारी को चुनावी समर का सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर तेजस्वी ने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी को असहज कर दिया है। हिंदू- मुसलमान, पाकिस्तान, धारा 370, एनआरसी-सीएए जैसे मुद्दे बिहार में फुस्स हो गए हैं। इसके बाद ही नरेंद्र मोदी ने अपने तरकश का आख़िरी तीर निकालकर लालू प्रसाद यादव के 15 वर्षों (1990- 2005) के कार्यकाल की याद दिलाते हुए तेजस्वी को 'जंगलराज का युवराज' कहा। सवाल यह है कि जंगलराज के मायने क्या हैं? क्या लालू यादव के कार्यकाल को जंगलराज कहा जाना चाहिए?
















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