बिहार में महागठबंधन ने ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ पत्र जारी कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। क्या यह पहल नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंध लगा पाएगी?
बिहार महागठबंधन ने जारी किया अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र
कांग्रेस और महागठबंधन ने 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' पत्र जारी कर बिहार में नयी सियासी हलचल पैदा कर दी है। महागठबंधन के इस फ़ैसले को उस अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है जो नीतीश कुमार का मज़बूत वोट बैंक रहा है। बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग का 36% वोट बैंक है। इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मजबूत आधार माना जाता है। सवाल उठ रहा है कि क्या यह संकल्प पत्र नीतीश के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगा पाएगा? आइए, इस पत्र की खास बातों और इसके संभावित असर को जानते हैं।
कांग्रेस और इसके सहयोगी दलों ने 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' पत्र को अति पिछड़ा वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिए एक रोडमैप के रूप में पेश किया है। पत्र में आबादी के अनुपात में आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाने के लिए प्रयास करने और अति पिछड़ा वर्ग के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण को बढ़ाने का वादा भी किया गया है। इसके अलावा कई और फ़ैसले लिए गए हैं।
'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' की 10 ख़ास बातें
- आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाने के लिए पास कानून को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजेंगे।
- पंचायत-नगर निकाय में आरक्षण 20% से बढ़ाकर 30% होगा।
- सभी प्राइवेट कॉलेज-यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू होगा।
- नियुक्तियों में "Not Found Suitable" जैसी व्यवस्था खत्म होगी।
- अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में सही प्रतिनिधित्व के लिए कमेटी बनेगी।
- SC/ST/OBC/EBC के आवासीय भूमिहीनों को जमीन मिलेगी (शहर: 3 डेसिमल, गांव: 5 डेसिमल)।
- प्राइवेट स्कूलों की आधी आरक्षित सीटें SC/ST/OBC/EBC बच्चों को मिलेंगी।
- 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में 50% आरक्षण SC/ST/OBC/EBC को।
- अतिपिछड़ों के ख़िलाफ़ अत्याचार रोकने का कानून बनेगा।
- आरक्षण देखने के लिए प्राधिकरण बनेगा, सूची में बदलाव केवल विधानसभा करेगी।
बहुजनों को पूरा हक मिले: राहुल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संकल्प पत्र को लेकर कहा कि बिहार में बहुजनों को उनका पूरा हक़ और अधिकार दिलाने के लिए आज हमने ऐतिहासिक ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ जारी किया है। उन्होंने कहा, 'बिहार में 20 साल से नीतीश कुमार की सरकार है, लेकिन उन्होंने अतिपिछड़ा समाज को न्याय दिलाने के लिए फैसले नहीं लिए। हमने अतिपिछड़ा समाज के साथ बैठक की, समाज के लोगों से बात की और 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' तैयार कर दिया। नीतीश कुमार सिर्फ वोट ले रहे थे और बदले में अतिपिछड़ा समाज के हक की आवाज दबा रहे थे। हमारा वादा है कि सरकार बनते ही अतिपिछड़ा न्याय संकल्प को लागू करेंगे।'
राहुल ने कहा, 'लोकसभा में मैंने नरेंद्र मोदी जी के सामने दो बातें कहीं। देश में जातिगत जनगणना होगी और आरक्षण में 50% की दीवार तोड़ेंगे। इन वादों के पीछे सोच थी कि आज भी देश में अतिपिछड़ा, पिछड़ा, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्गों को जितनी भागीदारी मिलनी चाहिए, वो नहीं मिलती है। हम जातिगत जनगणना कर दिखाना चाहते हैं कि देश में किसकी कितनी आबादी है- ये पूरे देश को पता चलना चाहिए।'
खड़गे का नीतीश पर हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'नीतीश कुमार बीजेपी के पास गए हैं, तो इसका साफ मतलब है- वो मनुवाद को चलाना चाहते हैं। देश में बीजेपी सरकार होने का साफ मतलब है कि गरीबों, पिछड़ों, दलितों का जीवन तबाह होगा। जो लोग समाज के नाम पर एक विचारधारा लिए चलते थे, आज वही लोग बीजेपी की झोली में जा गिरे हैं। इसलिए आपको अपने हक के लिए पूरी ताकत से लड़ना है।' उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा समाज के सभी नेतागण और बाकी लोगों ने जो '10 पॉइंट प्रोग्राम' तैयार किया है उसका मैं पूरा समर्थन करता हूं। उन्होंने कहा कि यह संकल्प राहुल गांधी जी, तेजस्वी यादव जी और महागठबंधन के नेताओं ने तैयार किया है। हमारी सरकार आते ही हम इन बिंदुओं पर काम करेंगे।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "हमारा विजन अतिपिछड़ा समाज को आगे बढ़ाने के लिए है। वहीं, एनडीए के सारे मंत्री समाज के सबसे बड़े दुश्मन हैं, जो सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करते हैं, समाज के लिए कोई काम नहीं करते। सच्चाई यही है कि नीतीश कुमार और बीजेपी 'आरक्षण चोर' हैं।"
विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी ने कहा, 'आज अतिपिछड़ा समाज के लिए जो घोषणाएं हुई हैं, निश्चित ही ये बड़ा बदलाव लेकर आएगी। जिस तरह से बाबा साहेब आंबेडकर जी ने दलित और आदिवासी वर्ग को आरक्षण देकर, उन्हें आगे बढ़ाया, ठीक उसी तरह से अतिपिछड़ा समाज के जीवन में भी उत्थान होगा।'
नीतीश के वोट बैंक पर असर
बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग का 36% वोट शेयर सबसे बड़ा और निर्णायक माना जाता है। पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार ने इस वर्ग को पंचायती राज में आरक्षण, जीविका योजना और अभियान बसेरा जैसी अपनी नीतियों के जरिए अपने साथ जोड़े रखा है। नीतीश की समाजवादी विचारधारा और 'न्याय के साथ विकास' की नीति ने ईबीसी को एक मजबूत आधार दिया, जिसके चलते वह बार-बार सत्ता में रहे हैं।
हालांकि, महागठबंधन का 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' पत्र इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अति पिछड़ा वर्ग का वोट पहले आरजेडी से टूटकर जेडीयू में गया था। अब कांग्रेस और आरजेडी इस वोट को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नीतीश का इस वर्ग पर गहरा प्रभाव है।
क्या सेंध लगाना संभव है?
कई फ़ैक्टर इस संकल्प पत्र के प्रभाव को तय करेंगे। बिहार में 2023 के जातीय सर्वेक्षण ने दिखाया कि ईबीसी और ओबीसी मिलकर 63% आबादी हैं। नीतीश ने इस सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण बढ़ाने की कोशिश की, जिसे जनता ने सराहा। महागठबंधन को इस वर्ग के बीच विश्वास जीतने के लिए ठोस और विश्वसनीय वादों की जरूरत है। आरजेडी और कांग्रेस ने अति पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को 'नायिका' के रूप में पेश करने की रणनीति अपनाई है। नीतीश ने हाल के वर्षों में ईबीसी के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
विपक्ष की चुनौतियाँ
महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश के सुशासन और विकास के नैरेटिव को तोड़ना है। तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को उठाकर युवा ईबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है। हालांकि, 'जंगल राज' की वापसी का डर, खासकर उच्च जाति और कुछ ईबीसी मतदाताओं के बीच, महागठबंधन के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा, कांग्रेस का बिहार में सीमित जनाधार एक बड़ी बाधा है। कांग्रेस को इस वर्ग के बीच अपनी पुरानी साख वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' पत्र महागठबंधन की एक महत्वाकांक्षी कोशिश है, जो नीतीश कुमार के ईबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महागठबंधन इस पत्र के जरिए ईबीसी मतदाताओं को अपनी ओर खींच पाता है, या नीतीश का 'सुशासन मॉडल' एक बार फिर बाजी मार लेता है।