राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में कांग्रेस की 'वोट चोर गद्दी छोड़' महारैली में मोहन भागवत और आरएसएस पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि भारत की, हिंदू धर्म की और पूरी दुनिया की विचारधारा सत्य की है लेकिन भागवत कहते हैं- सत्य नहीं, शक्ति जरूरी है। तो क्या एक तरह से राहुल ने यह कहकर भागवत को संकेतों में हिंदू और भारत विरोधी क़रार दे दिया?

दरअसल, दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में रविवार को कांग्रेस पार्टी की 'वोट चोर गद्दी छोड़' महारैली हुई, जिसमें देशभर से लाखों कार्यकर्ता जुटे। यह रैली मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर के दौरान कथित 'वोट चोरी' और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने के लिए आयोजित की गई थी। पार्टी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया।
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रैली को संबोधित करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत की विचारधारा सत्य पर आधारित है, जैसा महात्मा गांधी जी कहते थे कि सत्य सबसे अहम है। लेकिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि सत्य नहीं, शक्ति ज़रूरी है। राहुल ने अंडमान निकोबार में भागवत के हालिया बयान का ज़िक्र करते हुए कहा, 'हम सत्य के साथ खड़े हैं और इस सरकार को सत्ता से हटाएंगे।'

राहुल ने कहा, 'अभी जब मैं गाड़ी में आ रहा था तो मुझे पता चला कि अंडमान निकोबार में मोहन भागवत ने एक बयान दिया। मेरा भाषण का प्लान दूसरा था लेकिन जब मैंने उनका बयान सुना तो अपने भाषण का पूरा प्लान बदल दिया।' राहुल ने आगे कहा, 
गांधी जी कहते थे कि सत्य सबसे ज़रूरी चीज है। हमारे धर्म में सत्य को सबसे ज़रूरी माना जाता है। आपने सुना होगा सत्यम शिवम सुंदरम। हमारे धर्म में कहा जाता है सत्यम शिवम सुंदरम। सुना है- सत्यमेव जयते? अब मोहन भागवत का बयान सुनिये- 'विश्व सत्य को नहीं, शक्ति को देखता है। जिसके पास शक्ति है, उसे माना जाता है'।
राहुल गांधी
कांग्रेस नेता
राहुल ने कहा, "ये मोहन भागवत की सोच है। ये विचारधारा आरएसएस की है। हमारी विचारधारा, हिंदुस्तान की विचारधारा, हिंदू धर्म की विचारधारा, दुनिया के हर धर्म की विचारधारा कहती है कि सत्य सबसे ज़रूरी है। मोहन भागवत कहते हैं कि सत्य का कोई मतलब नहीं है, सत्ता ज़रूरी है।"

बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को अंडमान और निकोबार में विराट हिंदू सम्मेलन समिति द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक मान्यता केवल सत्य से नहीं, बल्कि शक्ति से निर्धारित होती है। विश्व सत्य को नहीं, शक्ति को देखता है। जिसके पास शक्ति है, उसे मानता है। एक मजबूत समाज के निर्माण और राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकता ज़रूरी है।

एसआईआर विपक्षी वोटरों को हटाने की साज़िश: राहुल

बहरहाल, राहुल गांधी ने आगे कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के लिए काम कर रहा है। उन्होंने संसद में उठाए सवालों का जवाब न मिलने की शिकायत की और एसआईआर प्रक्रिया को विपक्षी वोटरों को हटाने की साजिश बताया। 

चुनाव आयुक्तों पर कार्रवाई की चेतावनी

राहुल ने कहा, 'ज्ञानेश कुमार, सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी। सत्य-असत्य की इस लड़ाई में ये चुनाव आयुक्त, बीजेपी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने इन चुनाव आयुक्तों को बचाने के लिए कानून बदल दिया, जिसमें ये कुछ भी करें, इन पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है। लेकिन याद रखिए- हम इन चुनाव आयुक्तों की रक्षा करने वाले कानून को Retroactively बदलेंगे और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।' रैली में प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा को चुनौती दी कि अगर वे ईमानदार हैं तो बैलेट पेपर से चुनाव लड़ें, क्योंकि उन्हें पता है कि वे कभी जीत नहीं पाएंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज चोरी की सरकार है और संस्थाओं को खोखला किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी की विचारधारा ही देश को बचा सकती है। आरएसएस की विचारधारा हमारे देश को नहीं बचा सकती, उल्टा ये इस देश को ख़त्म कर देंगे। बीजेपी-आरएसएस के लोग संविधान को ख़त्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं। बीजेपी-आरएसएस के लोग फिर से गरीबों को गुलाम बनाना चाहते हैं। मगर हमें याद रखना चाहिए कि देश को आजादी कांग्रेस पार्टी ने दिलाई, क्योंकि तब मोदी-शाह पैदा भी नहीं हुए थे।' सचिन पायलट ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले 11 सालों में संस्थाओं को कमजोर करने का माहौल बनाया गया है। रैली में सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं, जबकि केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश समेत कई वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद रहे।

जनता में गुस्सा जगाने की कोशिश!

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि पार्टी ने देशभर में कथित चुनावी अनियमितताओं के ख़िलाफ़ क़रीब 5.5 करोड़ हस्ताक्षर जुटाए हैं। यह रैली जनता में जोश भरने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए है। रैली के बाद पार्टी राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगेगी और हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपेगी।

वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देश में चुनाव कराने के लिए निष्पक्ष अंपायर की कमी है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है और इसलिए पार्टी पूरे देश में अभियान चला रही है।

संसद में तीखी बहस के बाद यह रैली लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई गरमागरम बहस के कुछ दिनों बाद हुई। बहस में विपक्ष और सरकार के बीच मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर और अन्य कथित अनियमितताओं पर जमकर भिड़ंत हुई। राहुल गांधी ने बीजेपी पर चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया और अपने दावों के समर्थन में तीन सवाल उठाए।

सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर एसआईआर प्रक्रिया को निशाना बनाने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस की लगातार हार का कारण उसकी नेतृत्व है, न कि ईवीएम या ‘वोट चोरी’। कांग्रेस का दावा है कि एसआईआर के ज़रिए मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
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वोट चोरी के आरोप क्या?

राहुल गांधी ने हाल में बीजेपी और चुनाव आयोग पर वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप मुख्य रूप से मतदाता सूची में हेराफेरी, फर्जी वोटर जोड़ने या हटाने, और चुनावी प्रक्रिया में धांधली पर आधारित हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है और कई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबूत पेश करने का दावा किया है।

राहुल के मुख्य आरोप

  • मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी।
  • कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट में 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोट जोड़े गए।
  • डुप्लीकेट वोटर यानी एक व्यक्ति का नाम कई वोटर, फर्जी-अमान्य पते, एक पते पर कई वोटर, अमान्य फोटो, और फॉर्म 6 यानी नए वोटर रजिस्ट्रेशन का दुरुपयोग।
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में वोट चोरी।
  • 25 लाख फर्जी वोट डाले गए।
  • डुप्लीकेट वोटर 5 लाख से ज्यादा, अमान्य पते और बल्क वोटर लाखों में।
  • एक महिला का नाम कई बूथों पर अलग-अलग नामों से, या ब्राजीलियन मॉडल की फोटो का इस्तेमाल।
  • हरियाणा में "व्यवस्था" के तहत चोरी हुई, और यही मॉडल बिहार में दोहराया गया।
  • महाराष्ट्र, बिहार आदि में मतदाता सूची में असामान्य बढ़ोतरी या डिलीशन, खासकर विपक्षी क्षेत्रों में।
  • स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर को संस्थागत चोरी बताया।
  • चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप।
  • ईसीआई बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है।
  • मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं देना, सीसीटीवी फुटेज 45 दिनों में नष्ट करना और सबूत मांगने की बजाय आरोपों को खारिज करना।
  • सीईसी की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल। नियुक्ति पैनल से चीफ जस्टिस को हटाना।
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ये आरोप राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस, लोकसभा में भाषणों और सोशल मीडिया पर दोहराए हैं। कांग्रेस ने इसके खिलाफ 'वोट चोर, गद्दी छोड़' अभियान चलाया और रामलीला मैदान में रैली की। राहुल गांधी का दावा है कि उनके पास 100% सबूत हैं, जबकि चुनाव आयोग और बीजेपी इसे राजनीतिक ड्रामा मानते हैं।