कांग्रेस के भविष्य को लेकर इस समय सबसे ज़्यादा चिंता व्याप्त है। यह चिंता बीजेपी भी कर रही है और कांग्रेस के भीतर ही नेताओं का एक समूह भी कर रहा है। दोनों ही चिंताएँ ऊपरी तौर पर भिन्न दिखाई देते हुए भी अपने अंतिम उद्देश्य में एक ही हैं। सारांश में यह कि पार्टी की कमान गाँधी परिवार के हाथों से कैसे मुक्त हो? आज की परिस्थिति में कांग्रेस को बचाने का आभास देते हुए उसे ख़त्म करने का सबसे अच्छा प्रजातांत्रिक तरीक़ा भी यही हो सकता है। जहाँ बीजेपी की राष्ट्रीय माँग देश को कांग्रेस से मुक्त करने की है। कांग्रेस पार्टी के एक प्रभावशाली तबक़े की माँग फ़ैसलों की ज़िम्मेदारी किसी व्यक्ति (परिवार!) विशेष के हाथों में होने के बजाय सामूहिक नेतृत्व के हवाले किए जाने की है। सामूहिक फ़ैसलों की माँग में मुख्य रूप से यही तय होना शामिल माना जा सकता है कि विभिन्न पदों पर नियुक्ति और राज्य सभा के रिक्त स्थानों की पूर्ति के अधिकार अंततः किसके पास होने चाहिए!
बग़ावती चाहें तो एक और ‘कांग्रेस’ भी बना सकते हैं!
- राजनीति
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- 29 Mar, 2025

स्पष्ट है कि जिस समय कांग्रेस को ही अपनी कमज़ोरी से निपटने के लिए इलाज की ज़रूरत है, नेतृत्व से जवाब-तलबी की जा रही है कि वह बीजेपी की टक्कर में दौड़ क्यों नहीं लगा पा रही है! सारे सवाल कांग्रेस को लेकर ही हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस और बीजेपी के अतिरिक्त छह और भी हैं पर उनकी कहीं कोई चर्चा नहीं है! वे सभी दल क्षेत्रीय पार्टियाँ बन कर रह गए हैं।