पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव और लंबे समय तक नज़रबंदी में रहने के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहली बार अपनी पीड़ा व्यक्त की है। वह अनुच्छेद 370 और 35ए पर उतने व्यथित नहीं हैं जितने कि इस पूरे मामले में देश के दूसरे हिस्सों में राजनीतिक दलों और नेताओं के रवैये से हैं। वह कहते हैं कि जब वह मुश्किल में थे, जेल हुई तो किसी ने आवाज़ नहीं उठाई, लेकिन यदि अब उन नेताओं के साथ ऐसा हुआ तो वह भी कभी एक शब्द भी नहीं बोलेंगे। उन्होंने इस दौरान अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं का नाम भी लिया। आख़िर उमर अब्दुल्ला इनसे किस बात को लेकर इतने ज़्यादा नाराज़ हैं और उन्हें यह बात इतनी ज़्यादा क्यों कचोट रही है?
'कभी (केजरीवाल, केसीआर, नायडू आदि) जेल हुई तो उनके पक्ष में एक भी शब्द नहीं बोलूँगा'
- राजनीति
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- 28 Jul, 2020
अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद उमर अब्दुल्ला देश के दूसरे हिस्सों में राजनीतिक दलों और नेताओं के रवैये से नाराज़ हैं। आख़िर उमर इनसे किस बात को लेकर नाराज़ हैं और उन्हें यह बात इतनी ज़्यादा क्यों कचोट रही है?

पिछले साल अगस्त में जब अनुच्छेद 370 में बदलाव किया गया था तब राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इसके बाद से इंटरनेट के साथ ही परिवहन-व्यवस्था व दूसरी सेवाओं पर कई पाबंदियाँ लगाई गई थीं। राजनेताओं सहित सैकड़ों लोगों को नज़रबंद किया गया। बाद में पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी गई। कई नेता अब भी नज़रबंद हैं। हिरासत और फिर राजनीतिक नज़रबंदी में रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को 24 मार्च को रिहा किया गया था।