पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव और लंबे समय तक नज़रबंदी में रहने के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहली बार अपनी पीड़ा व्यक्त की है। वह अनुच्छेद 370 और 35ए पर उतने व्यथित नहीं हैं जितने कि इस पूरे मामले में देश के दूसरे हिस्सों में राजनीतिक दलों और नेताओं के रवैये से हैं। वह कहते हैं कि जब वह मुश्किल में थे, जेल हुई तो किसी ने आवाज़ नहीं उठाई, लेकिन यदि अब उन नेताओं के साथ ऐसा हुआ तो वह भी कभी एक शब्द भी नहीं बोलेंगे। उन्होंने इस दौरान अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं का नाम भी लिया। आख़िर उमर अब्दुल्ला इनसे किस बात को लेकर इतने ज़्यादा नाराज़ हैं और उन्हें यह बात इतनी ज़्यादा क्यों कचोट रही है?