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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश

संसद का विशेष सत्रः कांग्रेस का जवाब- गुमराह किया जा रहा है देश को

संसद के विशेष सत्र के एजेंडे पर केंद्र और कांग्रेस के बीच बयानबाजी का क्रम जारी है। सोनिया गांधी को जवाब में लिखे केंद्र के पत्र में दावा किया गया है कि विपक्ष को विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में सूचित करना या उस पर चर्चा करना पारंपरिक नहीं है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसके जवाब में तथ्यों के साथ नौ प्वाइंट में दोनों सदनों में विशेष सत्रों और बैठकों के पिछले उदाहरण दिए जहां एजेंडे के बारे में विपक्ष से चर्चा की गई।

जयराम रमेश का जवाब दरअसल संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के बयान की प्रतिक्रिया थी, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी और कांग्रेस पर "बिना मतलब" मुद्दा बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था।
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प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा था- "सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा बिना बात मुद्दा बनाने का एक और हताश प्रयास। सरकार ने संविधान के प्रावधानों के अनुसार सत्र बुलाया है और उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है।" 
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने केंद्रीय मंत्री जोशी पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
जयराम रमेश ने लिखा है- कितना गुमराह करेंगे जोशी-जी? प्रत्येक विशेष सत्र/बैठक का एजेंडा पहले से ही पता होता था। यह सिर्फ़ मोदी सरकार ही है जो लगातार संसद का अपमान कर रही है और संसदीय परंपराओं को विकृत कर रही है। पिछली सरकारों ने — इसमें आपकी सरकार भी शामिल हैं — संविधान दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे अन्य अवसरों के लिए कई विशेष बैठकें बुलाई हैं।

सरकार को जयराम रमेश का 9 प्वाइंट जवाब

  • 1.   30 जून, 2017 - GST लागू करने के लिए आधी रात को सेंट्रल हॉल में एक संयुक्त विशेष सत्र।
  • 2.  वामपंथी पार्टियों द्वारा UPA-1 सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए जुलाई 2008 में लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
  • 3.  भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 26 अगस्त, 1997 से 1 सितंबर, 1997 तक एक विशेष सत्र बुलाया गया था।
इससे पहले, ऐसे दो मौके भी थे जब लोकसभा भंग होने पर उच्च सदन की बैठक विशेष सत्र के लिए हुई थी:
  • 4. अनुच्छेद 356(3) के प्रावधान के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून 1991 से दो दिनों के लिए विशेष सत्र (158वां सत्र) आयोजित किया गया था।
  • 5. अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए फ़रवरी 1977 में दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया था।

विशेष बैठकों की सूची

  • 6. नवंबर, 2019 को पहले से चल रहे शीतकालीन सत्र के बीच संविधान की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सेंट्रल हॉल में दोपहर से पहले विशेष बैठक।
  • 7. 9 अगस्त, 2017 - पहले से चल रहे मानसून सत्र के बीच, भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक।
  • 8. 26 और 27 नवंबर, 2015 - संविधान दिवस मनाने के लिए विशेष बैठक।
  • 9. 13 मई 2012 - पहले से जारी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक।
इसी तनातनी के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मंत्रियों से इंडिया-भारत बहस से दूर रहने का आग्रह किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जी20 नेताओं को निमंत्रण में उन्हें "प्रेसीडेंट ऑफ भारत" के रूप में लिखने के बाद यह बहस शुरू हुई थी। इसके अगले दिन, एक दस्तावेज़ सामने आया जिसमें पीएम मोदी को "प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत" बताया गया।
यह तथ्य है कि सरकार ने विशेष सत्र के लिए किसी एजेंडे की घोषणा नहीं की है। इससे अटकलें बढ़ती जा रही हैं। सरकार खुद कह रही है कि ऐसी परंपरा नहीं रही है। लेकिन जब विशेष सत्र बुलाया गया है तो सरकार ने उसका कुछ विषय और मकसद सोचा होगा। विपक्ष बस इतनी सी मांग कर रहा है कि उसे बताया जाए। इसी वजह से कांग्रेस की बुजुर्ग नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखना पड़ा।
हालांकि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र में देश का नाम बदलने का प्रस्ताव लाने की चर्चा है। बहरहाल, विपक्ष अपने रुख पर कायम है। विपक्षी गुट इंडिया ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर "इतिहास को विकृत करने और भारत को विभाजित करने" का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार "लोगों को अंधेरे में रख रही है।"
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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने तो अपने पत्र में सरकार को विषय तक बताए हैं कि वो विशेष सत्र की चर्चा में इन्हें भी शामिल कर सकती है। जिसमें जाति जनगणना और महिला आरक्षण विधेयक खास है। लेकिन सरकार अड़ी है कि जब संसद सत्र शुरू होगा तो वो एजेंडा शेयर कर देगी।
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क़मर वहीद नक़वी
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