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केशव प्रसाद मौर्य सिराथू में चुनाव प्रचार करते हुए

यूपी चुनावः क्या है सिराथू का मूड, केशव प्रसाद मौर्य क्या हैट्रिक बना पाएंगे

सिराथू विधानसभा क्षेत्र में कल वोट डाले जाएंगे। यूपी के कैबिनेट मंत्री केशव प्रसाद मौर्य का मुकाबला यहां सपा की पल्लवी पटेल से है। मतदान से 24 घंटे पहले यहां दो घटनाएं हुईं हैं जो बता रही हैं कि केशव प्रसाद मौर्य इस चुनाव में कहां खड़े हैं। दरअसल, मतदान से 24 घंटे पहले एक गांव में केशव प्रसाद मौर्य के बेटे योगेश मौर्य को घेर लिया गया। दूसरी घटना में एक वाहन से शराब की पेटियां बरामद हुईं, उस शराब को सिराथू क्षेत्र में बांटने के लिए लाया जा रहा था। 

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सिराथू इतनी हाईप्रोफाइल सीट है कि यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने डिप्टी सीएम का प्रचार करने आए। दूसरी तरफ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी यहां पल्लवी पटेल का प्रचार करने पहुंचे। अखिलेश के अलावा पार्टी की सांसद जया बच्चन और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव भी चुनाव प्रचार करने पहुंचीं। अमित शाह की रैली में चारों तरफ बीजेपी की टोपी लगाए कार्यकर्ताओं का हुजूम नजर आया तो अखिलेश की रैली में आम लोगों का हुजूम नजर आया। यही हाल जया बच्चन और डिंपल की रैली का भी था।

UP elections: What is the mood of Sirathu, will Keshav Maurya win for the third time? - Satya Hindi
सिराथू से सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल

सिराथू सीट पहले बीएसपी के कब्जे में थी और यहां के कुर्मी मतदाता ही निर्णायक हैं। 2012 में केशव प्रसाद मौर्य यहां से पहली बार बीजेपी टिकट पर जीते, उसके बाद 2017 में भी वो जीते। इस बार सपा ने बहुत सूझबूझ से कुर्मी प्रत्याशी पल्लवी पटेल को टिकट दिया। इस समीकरण से इस सीट पर हालात बदल गए। अपना दल के संस्थापक डॉ सोनलाल पटेल कुर्मियों के बड़े नेता रहे हैं। पल्लवी पटेल उन्हीं की बेटी है। पल्लवी पटेल की मां कृष्णा पटेल भी दूसरे इलाके में सपा टिकट पर लड़ रही हैं। लेकिन पल्लवी की छोटी बहन अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं और बीजेपी का साथ दे रही हैं। देखा जाए तो मां-बेटी सपा में आकर सोनेलाल पटेल के विरासत की लड़ाई लड़ रही हैं। सोनेलाल पटेल की विचारधारा कभी भी बीजेपी समर्थक नहीं रही। 

बीएसपी ने इस सीट से मंसब अली उस्मानी को मैदान में उतारा है। लेकिन वो इस सीट पर किसी भी रेस में नहीं हैं। हालांकि सिराथू में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद ठीकठाक है लेकिन मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव सपा की तरफ स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है, ऐसे में मंसब ्अली को बीएसपी के अपने वोट बैंक के वोट से ही संतोष करना पड़ेगा। बीजेपी को उम्मीद थी कि मुस्लिम मतदाता बीएसपी को वोट देंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इस सीट को लेकर जो सर्वे आए हैं, उनमें भी कहा गया है कि बीएसपी यहां मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं करा सकी है। 

सिराथू में 3 लाख 80 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। जिनमें 19 फीसदी सवर्ण, 33 फीसदी दलित, 13 फीसदी मुस्लिम और 34 फीसदी ओबीसी वोट हैं। सवर्णों के वोट अकेले बीजेपी को नहीं मिलेंगे। ब्राह्मणों का कुछ हिस्सा कांग्रेस और सपा को मिलेगा। दलित वोटों में भी विभाजन तय है। लेकिन 13 फीसदी मुस्लिम वोटों का विभाजन नामुमकिन लग रहा है। अब ओबीसी में वोटों का विभाजन केशव और पल्लवी के बीच होता है तो भी फायदे में सपा प्रत्याशी ही रहेगा। यह तय है कि सिराथू विधानसभा चुनाव विशुद्ध रूप से जातीय समीकरणों पर ही लड़ा जा रहा है। हालांकि यहां केशव प्रसाद मौर्य ने तमाम विकास कार्य कराने के दावे किए हैं लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन विकास कार्यों की जानकारी डिप्टी सीएम मौर्य के पास ही होगी। 

   

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क़मर वहीद नक़वी
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