राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास इस वक्त दो लक्ष्य हैं- पहला साल 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘हैट-ट्रिक’ और दूसरा साल 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष मनाना यानी ‘राष्ट्र को परम वैभव’ तक पहुंचाना। कुछ लोग इसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ के सपने का नाम भी देते हैं, लेकिन संघ के नजरिए में उसका अर्थ सांस्कृतिक है, संवैधानिक नहीं। 

संघ की अहम बैठक 

आरएसएस की पिछले सप्ताह दिल्ली में हुई महत्वपूर्ण बैठक में इस मंज़िल को हासिल करने के रास्तों पर विचार मंथन शुरू किया गया और उसकी पहली कड़ी में राजनीतिक तौर पर दो बातें थीं- पहला पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की करारी हार पर चिंता और मंथन और दूसरा अगले साल होने वाला यूपी विधानसभा चुनाव। संघ ने कोशिश शुरू की है पश्चिम बंगाल में हार से उत्तर प्रदेश में जीत का रास्ता निकालने की।