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पंजाब: केंद्र की नई कृषि नीति का पुरजोर विरोध, अमरिंदर ने किया खारिज

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीन दिन पहले घोषित नई कृषि नीति का खेती प्रधान राज्य पंजाब में पुरजोर विरोध हो रहा है। अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे सिरे से निरस्त कर दिया है। कैप्टन ने कहा है कि कृषि सुधारों के नाम पर केंद्र न केवल किसानों को तबाह कर रहा है बल्कि राज्यों के अधिकार भी छीन रहा है। 

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा है कि पंजाब बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिशों के ख़िलाफ़ लड़ेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की नई कृषि नीति खेती उत्पादन और मंडीकरण व्यवस्था में सीधे तौर पर नागवार दखलअंदाजी है। 

एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल और राज्य के किसान संगठन तथा आम किसान भी केंद्र की नई कृषि नीति के ख़िलाफ़ हैं।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दो टूक कहा है कि भारतीय संविधान के मुताबिक़, खेती-बाड़ी राज्यों का विषय है और केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिसके तहत उसने नई कृषि नीति का अध्यादेश जारी किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का अध्यादेश न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद व्यवस्था के खात्मे की साफ-साफ कवायद है। 

कैप्टन ने कहा, ‘पंजाब ने देश की अनाज सुरक्षा को हमेशा सुनिश्चित किया है और यहां के किसानों ने हरित क्रांति के जरिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। लेकिन केंद्र सरकार ने एक झटके में किसानों से उनके सारे अधिकार छीन लिए हैं।’

मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रेस से बात करते हुए केंद्र सरकार की जोरदार मुखालफत की। उन्होंने कहा, ‘केंद्र, राज्यों को विश्वास में लिए बगैर फैसले कर और उन्हें थोप रहा है। यह राज्यों को संविधान से मिले अधिकारों की खुली अवहेलना है।’

कैप्टन के अनुसार, कोरोना महामारी के इस संकट में केंद्र सरकार के ऐसे कदम आर्थिक, सामाजिक और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर ख़तरा खड़ा कर सकते हैं। अमरिंदर ने कहा कि केंद्र की नई कृषि नीति से किसानों को कतई कोई लाभ नहीं होगा बल्कि उनकी बदहाली बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, नई नीति की घोषणा करते हुए ऐसा कोई प्रावधान सामने नहीं रखा गया कि किसानों और व्यापारियों के बीच संभावित झगड़े से कैसे निपटा जाएगा। किसी भी पहलू के संबंध में राज्य सरकारों को विश्वास में नहीं लिया गया।’ कैप्टन ने कहा कि पंजाब में मंडीकरण का सशक्त ढांचा है जो पिछले साठ साल से सुचारू तौर पर बखूबी काम कर रहा है।

गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी (आप) और पंजाब के विभिन्न किसान संगठन भी केंद्र की नई कृषि नीति के ख़िलाफ़ हैं। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में शुक्रवार को हुई आपात बैठक में फ़ैसला किया गया कि कृषि नीति का विरोध किया जाएगा। 

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बैठक में शामिल लगभग तमाम वरिष्ठ अकाली नेताओं ने सुखबीर बादल से कहा कि वह इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पार्टी का स्टैंड स्पष्ट करें और ज़रूरत पड़ने पर गठबंधन से किनारा कर लें।       

बता दें कि शिरोमणि अकाली दल बादलों का जेबी सियासी संगठन है और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल केंद्र सरकार में फूड प्रोसेसिंग मंत्री हैं। केंद्र की नई कृषि नीति पर बतौर काबीना वजीर उनकी भी मुहर है और जब नई कृषि नीति घोषित की जा रही थी तो तब वह वहां मौजूद थीं। प्रतिद्वंद्वियों के अतिरिक्त बादल परिवार को अपने भी घेर रहे हैं कि उन्होंने किसान विरोधी नई कृषि नीति का विरोध क्यों नहीं किया?

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अमरीक
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