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नवजोत सिंह के ट्वीट से मिला सिद्धू - अमरिंदर में सुलह का संकेत

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू में सुलह हो गई है? क्या क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू अब कैप्टन पर राजनीतिक गुगली नहीं फेंकेंगे? 

सिद्धू के ताज़ा ट्वीट से इसके संकेत मिलते हैं। कुछ दिन पहले ही बिजली संकट के बहाने मुख्यमंत्री पर तंज करने वाले सिद्धू ने अपने ताज़ा ट्वीट में बिजली संकट का ठीकरा अकालियों और बीजेपी पर फोड़ा है। इसमें अमरिंदर सिंह को निशाने पर लेने के बजाय विपक्ष पर हमलावर होने को इस रूप में देखा जा रहा है कि दोनों नेताओं में कुछ सहमति बन गई है। 

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सिद्धू के बाउंसर

नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया, “पंजाब की बिजली व्यवस्था नष्ट करने वाली ताक़तें आज उजागर हो गई हैं। दिल्ली सरकार चाहती है कि पंजाब की जीवन रेखा ताप बिजलीघर बंद हो जाएं ताकि गर्मी में पंजाबी झुलसते रहें और किसानों के धान की फसल चौपट हो जाए।” 

एक दूसरे ट्वीट में सिद्धू ने अकाली दल पर बाउंसर फेंकते हुए कहा, “बादल ने निजी कंपनियों से बिजली खरीद सौदे किए और अक्षय ऊर्जा मंत्री के रूप में मजीठिया ने 17 रुपए की दर पर 25 साल का करार किया जबकि वे जानते थे कि आने वाले समय में बिजली की दरें कम होंगी।” 

बदले-बदले से हैं सिद्धू!

साफ है, सिद्धू अकाली दल पर दोष मढ़ रहे है और अपरोक्ष रूप से जानबूझ कर मँहगी बिजली खरीदने का आरोप लगा रहे हैं।

यह अहम इसलिए है कि इन्ही सिद्धू ने कुछ दिन पहले ही बिजली संकट के लिए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। 
एक दूसरे ट्वीट में सिद्धू ने साफ कहा था कि पंजाब सरकार बिजली के लिए राष्ट्रीय औसत से अधिक पैसे दे रही है। उन्होंने परोक्ष रूप से अपनी ही सरकार पर चोट किया था। 

याद दिला दें कि इसके पहले सिद्धू - अमरिंदर में लड़ाई इस तरह बढ़ गई थी कि दोनों को अलग-अलग दिल्ली बुलाया गया था और केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों को अलग-अलग समझा बुझा कर इस बात पर राजी कराया था कि वे आपसी रंजिश छोड़ कर पार्टी के लिए काम करें क्योंकि पंजाब विधानसभा के चुनाव कुछ महीने बाद ही होने को हैं। 

सिद्धू - अमरिंदर में लड़ाई

कैप्टन और क्रिकेटर के बीच लड़ाई का आलम यह था कि सिद्धू ने कुछ ताज़ा मीडिया इंटरव्यू में 2015 के गुरू ग्रंथ साहिब के बेअदबी वाले मामले, सरकार की नीतियों की वजह से राजस्व का नुक़सान होने सहित कुछ और मुद्दों पर कैप्टन को घेरा था। 

2017 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सिद्धू दो साल तक अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में रहे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बग़ावती सुर अपना लिए और डेढ़ साल तक नाराज़ बैठे रहे।

 

उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया था। सिद्धू को मनाने की लाख कोशिशें कांग्रेस आलाकमान की ओर से की गईं। इस बीच सिद्धू को लेकर चर्चा चली कि वह आम आदमी पार्टी में जा सकते हैं या अपना कोई राजनीतिक दल लांच कर सकते हैं और या फिर से बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। 

punjab congress : thaw between amarindar singh-navjot singh siddhu - Satya Hindi

इलाक़े से सांसद थे तब भी उनके ख़िलाफ़ ऐसे ही पोस्टर लगे थे। 

कांग्रेस नेताओं के पैनल ने अपनी सिफ़ारिश में कहा था कि सिद्धू को पंजाब में कोई अहम पद दिया जाना चाहिए। लेकिन सिद्धू ने मीडिया में कैप्टन के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर अपना ही नुक़सान कर लिया है।

चाहते क्या हैं सिद्धू?

सिद्धू कह चुके हैं कि वह प्रो-पंजाब के एजेंडे पर काम करना चाहते हैं और उनकी अपनी कोई सियासी ख़्वाहिश नहीं है। जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सिद्धू डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं और उन्हें गृह विभाग भी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि सिद्धू की नज़र प्रदेश कांग्रेस के प्रधान के पद पर है। लेकिन अमरिंदर इसके ख़िलाफ़ हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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