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राजस्थान कांग्रेस में बढ़ेगी रार, हाईकमान की भी नहीं सुन रहे गहलोत?

कांग्रेस आलाकमान के सामने मुसीबतों का अंबार लगा हुआ है। एक से निपट नहीं पाते, दूसरी मुसीबत मुंह के सामने खड़ी हो जाती है। पंजाब में सिद्धू-बनाम अमरिंदर की जंग ने जीना मुहाल किया हुआ है तो अब राजस्थान के अंदर एक बार फिर से बग़ावत भड़कने के आसार हैं। 

‘द टेलीग्राफ़’ ने लिखा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के क़रीबियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने से ना-नुकुर कर रहे हैं। पायलट हाल ही में दिल्ली आए थे और तब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से उनकी बात हुई थी। पायलट को यह भरोसा दिलाया गया था कि जल्द ही कैबिनेट का विस्तार होगा और इसमें उनके क़रीबियों को जगह दी जाएगी। 

लेकिन ‘द टेलीग्राफ़’ के मुताबिक़, गहलोत ने इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व के सुझावों पर ध्यान देना बंद कर दिया है और राज्य के प्रभारी महासचिव अजय माकन को तक वे जवाब नहीं दे रहे हैं। 

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‘आलाकमान ने कुछ नहीं किया’

इससे पायलट गुट के अंदर फिर से नाराज़गी बढ़ रही है। पायलट गुट के विधायकों ने बीते दिनों कहा था कि कांग्रेस आलाकमान ने जो वादा किया था, उसे पूरा किया जाना चाहिए। ख़ुद पायलट ने कहा था कि आलाकमान की ओर से बनाई गई कांग्रेस नेताओं की कमेटी 10 महीने बाद भी कुछ नहीं कर पाई है और उनकी ओर से जो बातें उठाई गई थीं, उनका हल नहीं हुआ है। 

ख़बरों के मुताबिक़, पायलट को गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाने की भी बात हुई थी लेकिन उन्होंने साफ कहा है कि जब तक उनके समर्थकों को राजस्थान सरकार में सम्मान नहीं मिल जाता वे पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे। 

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‘द टेलीग्राफ़’ ने लिखा है कि प्रियंका गांधी, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और अजय माकन ने एक फ़ॉर्मूला बनाकर गहलोत को दिया था और उनसे कहा था कि पायलट के कुछ समर्थकों को मंत्रालयों और संगठन में जगह दी जाए। लेकिन गहलोत इससे ख़ुश नहीं हैं और उन्होंने कहा है कि वे एक महीने तक किसी से भी नहीं मिलेंगे। 

इसके पीछे वज़ह यह बताई गई है कि उनके दफ़्तर और सुरक्षा में लगे 40 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं और डॉक्टर्स ने उन्हें किसी से न मिलने की सलाह दी है। 

गहलोत के इस रवैये से परेशान कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन से कहा है कि वे जल्द से जल्द इस फ़ॉर्मूले को लागू करवाएं। पार्टी नेताओं को यह भी लग रहा है कि गहलोत शायद इस संकट को हल करने के लिए तैयार नहीं हैं।

‘सोनिया से ज़्यादा वसुंधरा को तवज्जो’

कांग्रेस के एक विधायक ने ‘द टेलीग्राफ़’ को बताया कि राज्य के अंदर ऐसी भी चर्चा चलती है कि गहलोत सोनिया गांधी से ज़्यादा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सुनते हैं। 

उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अनाप-शनाप बोलने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया और राज्यमंत्री का दर्जा भी दे दिया गया, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की बेटी को सूचना आयुक्त बना दिया। लेकिन कांग्रेस के विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जा रहा है।” विधायक ने कहा कि ऐसा करके गहलोत क्या पैगाम दे रहे हैं। 

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टूट सकता है सब्र!

इससे साफ है कि राजस्थान कांग्रेस में पंजाब जैसा बवाल हो सकता है। पिछले साल ऐसा हो भी चुका है। पायलट गुट का यह भी कहना है कि हाईकमान पंजाब के मामले में तुरंत एक्शन ले रहा है जबकि राजस्थान को लेकर उसका रूख़ ऐसा नहीं है। 

कहा जा रहा है कि पायलट गुट का सब्र अब जवाब दे रहा है। जुलाई तक अगर कैबिनेट का विस्तार नहीं होता है तो सचिन पायलट कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। जितिन प्रसाद के जाने के बाद कांग्रेस आलाकमान को डर है कि कहीं पायलट भी पार्टी छोड़कर न चले जाएं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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