प्रसिद्ध चिन्तक प्रताप भानु मेहता ने अपने हालिया लेख में इस बात पर चिन्ता जताई है कि धार्मिक जुलूसों की आड़ में देश किस तरफ बढ़ रहा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि साम्प्रदायिकता पर लिखना अब फिजूल बात हो गई है। वो चिन्तित हैं कि विचाराधारत्मक हिंसा का मुकाबला करने कोई सामने नहीं आ रहा है।
आज के हिंदुस्तान का मुसलमान धर्मांध, कट्टर, सांप्रदायिक, देशद्रोही और यहाँ तक कि आतंकवादी तक क़रार दिया जाता है। उन्हें क्यों नहीं दिखते कोरोना बदहाली के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर पहुँचाते हुए मुसलमान।
असम के शिक्षा मंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने गुरुवार को कहा है कि असम में अगले नवंबर महीने से सरकारी सहायता से चलने वाले 614 मदरसे और 101 संस्कृत टोल (संस्कृत पाठशाला) बंद कर दिए जाएँगे।
एक बार फिर मॉब लिंचिंग। दिल्ली में एक मुसलिम लड़के पर जानलेवा हमला। कोरोना फैलाने की साज़िश का आरोप लगाया। तब्लीग़ी की आड़ में जिस तरह से मुसलिम समुदाय पर निशाना दक्षिणपंथी तबक़ा और मीडिया कर रहा है, क्या ये उसकी नतीजा है? देखिए आशुतोष की बात।