भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच के बाद मोहम्मद शमी को उनकी धार्मिक पहचान को लेकर निशाना क्यों बनाया गया। हैरानी इस बात की है कि हुक़ूमत इस पर चुप है।
जब प्रशासन ने बाक़ायदा हिंदू और मुसलिम समुदाय के लोगों के साथ बातचीत कर नमाज़ पढ़ने के लिए 37 जगहों का चयन किया है तो फिर क्यों बार-बार गुड़गांव में माहौल ख़राब करने की कोशिश की जा रही है?
फ़ेसबुक पर आख़िर बार-बार नफ़रत फैलाने का आरोप क्यों लगता है? आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठने के बाद फ़ेसबुक ने ही अब क्यों कहा है कि अल्गोरिदम का गहन विश्लेषण किया गया?
किस तरह के सकारात्मक रवैए की अपेक्षा की जाती है? प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर एक दिन में 2.5 करोड़ टीके लगने से पहले और बाद में 50-60 लाख ही टीके लगाया जाना कैसी सकारात्मकता है और केरल में ईसाई-मुसलमान सद्भाव की बात करना कैसी सकारात्मकता?
मेरठ में मुसलिम युवक की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। आरोप है कि युवती से दोस्ती के लिए आरोपी उसको सजा के तौर पर पिटाई करते और करवाते हैं।
हिन्दू मुसलिम सद्भाव का कैसा इतिहास रहा है, इस पर पिछली कड़ी में आपने पढ़ा कि क्या वेदों में हजरत मुहम्मद के आने की भविष्यवाणी है? इस कड़ी में पढ़िए कि क्या क़ुरआन में सनातन धर्म का ज़िक्र है?
हिन्दू मुसलिम विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है और नफ़रत क्यों फैलाई जा रही है? क्या यह सच नहीं है कि हम सब एक ही ईश्वर के मानने वाले हैं और हमारे पूर्वज एक ही थे? क्या ऐसा विवाद कभी था? जानिए इस पर तीसरी कड़ी में दोनों धर्मों के बीच कितनी नज़दीकी रही है।
देश में नफ़रतें फैलाई जा रही हैं और धर्म के नाम पर तनाव फैला कर राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है। ऐसे में, हम सब का कर्तव्य है कि हिन्दू मुसलिम तनाव पैदा करने की कोशिश को नाकाम करें और वह सच सामने पेश करें जिससे दोनों वर्गों के बीच की दूरियाँ कम हों। पेश है इस पर दूसरी कड़ी।
क्या हिंदू और मुसलमान सभी पहले एक ही ईश्वर के मानते थे और क्या सभी के पूर्वज एक ही थे? यदि ऐसा है तो आख़िर हिंदू-मुसलिम के बीच ऐसा फर्क क्यों आया? क्या नफ़रत भी उसी का नतीजा है?
मथुरा में मुसलिम के 'श्रीनाथ डोसा' नाम से स्टॉल पर आख़िर क्यों विवाद हुआ? हिंदू धार्मिक संगठनों ने क्या आपत्ति की थी और उनके ख़िलाफ़ अब एफ़आईआर में क्या आरोप लगाया गया है?
भारतीय समाज में जो विघटन पाकिस्तान तीन दशकों में पैदा नहीं कर सका वह काम भारत में ही रहने वाले 'स्वयंभू राष्ट्रवादियों' ने महज़ एक दशक के भीतर ही नफ़रत फैलाकर कर डाला।