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झांसी में घटनास्थल

अतीकः झांसी एनकाउंटर की क्या है कहानी, अगला नंबर किसका 

हर पुलिस एनकाउंटर की एक ही घिसी पिटी कहानी होती है। पुलिस ने मुलजिम को सरेंडर की चेतावनी दी लेकिन मुलजिम ने पुलिस पर ही उल्टा गोली चला दी और तब पुलिस को आत्मरक्षा में फायरिंग करना पड़ी और इस फायरिंग में मुलजिम मारा गया। झांसी में आज जब गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और अतीक के नजदीकी शूटर गुलाम का एनकाउंटर हुआ तो पुलिस ने यही कहानी बताई। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने अलबत्ता झांसी एनकाउंटर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के जंगलराज ले जोड़ा है। योगी ने पिछले दिनों कहा था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे, महुआ मोइत्रा जैसों का ऐसे में सवाल है कि तब हमें अदालत की क्या जरूरत रह गई है, जब खुद ही फैसला सुना देना है।

यूपी पुलिस को लोग क्या कहेंगे, इससे कोई मतलब नहीं है। एनकाउंटर करने वाली यूपी एसटीएफ को मुख्यमंत्री योगी समेत उनके हर मंत्री की शाबाशी मिल चुकी है। यूपी पुलिस के अफसरों को और क्या चाहिए - राजनीतिक आका की खुशी में उनकी खुशी भी है। 

 

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खैर, झांसी एनकाउंटर पर यूपी पुलिस की कहानी सुनना जरूर चाहिए। पुलिस ने बताया कि असद और गुलाम दोनों के सिर पर पांच लाख रुपये का इनाम था। उमेश पाल पर हमले के दौरान असद अहमद सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था और तभी से फरार था। पुलिस ने कहा कि गुलाम ने आज दोपहर के करीब यूपी एसटीएफ की टीम पर गोलियां चलाईं और जवाबी कार्रवाई में दोनों मारे गए। उन्होंने कहा कि उनके पास से अत्याधुनिक हथियार, नए सेलफोन और सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। ये आधिकारिक बयान है।

एनकाउंटर की कुछ बातें पुलिस सूत्रों के हवाले से मीडिया बताता है। तो, पुलिस सूत्रों के अनुसार उमेश पाल की हत्या के बाद असद अहमद लखनऊ भाग गया था। बाद में वह दिल्ली पहुंचने से पहले कानपुर और फिर मेरठ चला गया। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश भागने का फैसला किया। वह झांसी पहुंचा और बाइक से राज्य की सीमा की ओर जा रहा था, तभी पुलिस ने उसे रोक लिया। असद ने अलग तरह का ड्रेस धारण कर रखा था। पुलिस सूत्रों ने कहा कि उनके पास अतीक अहमद के गिरोह में एक मुखबिर था जिसने उन्हें असद के ठिकाने के बारे में बताया। पुलिस ने आधिकारिक बयान में अभी भी रहस्य नहीं खोला है कि उन्हें असद और गुलाम की मूवमेंट और लोकेशन कैसे मालूम हुई। लेकिन पुलिस सूत्र सब कुछ बताने को आतुर हैं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनकाउंटर के में जानकारी साझा करते हुए एडीजीपी कानून व्यवस्था ने कहा कि डीएसपी रैंक के दो अधिकारियों के नेतृत्व में 12 लोगों की एक टीम ने अभियान चलाया। झांसी के बबीना रोड पर हुई मुठभेड़ के दौरान कुल 42 राउंड फायरिंग की गई। एनकाउंटर के बाद वहां भीड़ भी जमा हो गई। फिर दोनों के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया।  
झांसी में ये एनकाउंटर उस दिन हुआ जब अतीक अहमद को उमेश पाल की हत्या के मामले में प्रयागराज की अदालत में पेश किया गया और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

वकील उमेश पाल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का गवाह था। 24 फरवरी को प्रयागराज में उनके घर के बाहर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी भी मारे गए। हमले के चौंकाने वाले दृश्यों ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े किए और विपक्ष ने सरकार की कड़ी आलोचना की। तब मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बयान दिया था कि अपराधियों को मिट्टी में मिला देंगे। अतीक से जुड़े लोगों के अब तक तीन एनकाउंटर हो चुके हैं और हर एनकाउंटर के बाद बीजेपी नेता और मंत्री इस अंदाज में ट्वीट करते हैं कि योगी ने जो कहा वो करके दिखा दिया। यानी मिट्टी में मिला दिया।
अतीक का परिवार लगातार आरोप लगा रहा है कि यूपी पुलिस उन्हें चुन-चुन कर एनकाउंटर में मार रही है। खुद अतीक अहमद ने यही आरोप लगाया था। अतीक ने अभी कल मीडिया से कहा था कि वो मीडिया की वजह से बचा हुआ, वरना अभी तक यूपी पुलिस उसका भी एनकाउंटर कर देती।

अभी तक पुलिस अतीक से जुड़े लोगों विजय चौधरी, अरबाज, असद और गुलाम को एनकाउंटर में मार चुकी है। अभी इस मामले में गुड्डू मुस्लिम, अरमान और साबिर बचे हुए हैं। ये सभी उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी हैं। कहा जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम राजस्थान में छिपा है और यूपी पुलिस उसे राजस्थान में तलाश रही है। यानी उसके भी एनकाउंटर की खबर कभी भी आ सकती है।
झांसी एनकाउंटर पर जहां अखिलेश यादव (सपा) और मायावती (बसपा) ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की, वहां टीएमसी सांसद ने इसे योगी का जंगलराज बताया। आजतक ने महुआ मोइत्रा के हवाले कहा है कि मुझे आश्चर्य नहीं है, यह पूरी तरह से अराजकता है। यह एक प्रकार का जंगलराज या कल्चर है। जब आपके पास ऐसे मुख्यमंत्री और गृहमंत्री हों कि ठोक दो...गाड़ी पलट सकती है ...तो यह सब कभी भी हो सकता है। महुआ के अलावा सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने लिखा है कि अब यूपी में अदालत की जरूरत नहीं है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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