इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस अध्यादेश पर सवाल उठाए हैं जिसमें वृंदावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर को चलाने के लिए एक सरकारी ट्रस्ट बनाने की बात कही गई है। जज रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान साफ कहा, 'हम सरकार को धर्म के मामलों में दखल देने की इजाजत नहीं देंगे। सरकार को मंदिर के बाहर की भीड़ और सुरक्षा जैसी व्यवस्था देखनी चाहिए, न कि मंदिर के अंदर के कामों में हस्तक्षेप करना चाहिए।' कोर्ट ने यह भी पूछा, 'संविधान और सरकार का कोई धर्म नहीं है, फिर आप मंदिर के काम में क्यों घुस रहे हैं?'
बाँके बिहारी मंदिर: संविधान का कोई धर्म नहीं, यूपी सरकार मंदिर में क्यों घुस रही है- HC
- उत्तर प्रदेश
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- 30 Jul, 2025
उत्तर प्रदेश के बाँके बिहारी मंदिर में सरकारी दखल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। जानें कोर्ट ने क्या-क्या कहा।

बांके बिहारी मंदिर
यह मामला भगवान राधा-कृष्ण को समर्पित वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर से जुड़ा है। यह मंदिर बहुत पुराना और प्रसिद्ध है। इसे स्वामी हरिदास जी के वंशज और उनके अनुयायी निजी तौर पर चलाते हैं। मंदिर में क़रीब 360 पुजारी (सेवायत) पूजा और अन्य धार्मिक काम करते हैं। लेकिन मंदिर के प्रबंधन को लेकर दो पुजारी समूहों में लंबे समय से झगड़ा चल रहा है, जिसके कारण यह मामला कोर्ट तक पहुँचा।