उत्तर प्रदेश में बीते एक हफ़्ते में ऐसी 20 घटनाएँ हुई हैं, जिसमें उत्तेजित भीड़ ने बच्चा चोरी करने की अफ़वाह या शक में किसी को पकड़ कर बुरी तरह पीटा हो। ग़ाज़ियाबाद से मथुरा और ग्रेटर नोयडा से बरेली तक ये वारदात एक के बाद एक होती गईं, उन्हें रोकने में पुलिस बुरी तरह नाकाम रहीं। इन मामलों में कुछ लोग गिरफ़्तार भी किए गए, पर यह सवाल तो उठता ही है कि क्या राज्य में क़ानून व्यवस्था का राज है? कुछ लोगों की भीड़ सिर्फ़ अफ़वाह के आधार पर बुरी तरह पीटे या जानलेवा हमला कर दे तो क्या इसे जंगल राज नहीं कहेंगे? क्या यह पुलिस की नाकामी नहीं है? क्या कर रही है योगी आदित्यनाथ सरकार और उनकी पुलिस?