मायावती और मुलायम सिंह यादव अपनी पुरानी अदावत भूल कर 24 साल बाद गुरुवार को एक मंच पर आए। दोनों ने एक दूसरे की तारीफ़ की। मायावती ने नेताजी को पिछड़ों का असली प्रतिनिधि क़रार दिया तो मुलायम सिंह ने उस मंच पर आने के लिए बहन जी के प्रति आभार जताया। यह ऐसा अद्भुत नज़ारा था, जिस पर कुछ महीने पहले तक कोई यक़ीन नहीं कर सकता था। लेकिन 24 साल पहले क्या हुआ था, जिसने वंचितों के इन दो दिग्गज प्रतिनिधियों के बीच ऐसी खाई बना दी कि दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए?