लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बड़ा सपना संजोये समाजवादी पार्टी को न सिर्फ़ क़रारी हार मिली, बल्कि ख़ुद मुलायम परिवार की बहू और भतीजे भी चुनाव नहीं जीत सके। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के बाद भी समाजवादी कुनबे का बुरा हश्र देख 25 साल पुरानी इस पार्टी में बहुत कुछ बदलने की चर्चाएँ भी चलीं जिनमें सपा मुखिया अखिलेश के चाचा शिवपाल की घर वापसी प्रमुख थी। हालाँकि शिकस्त के बाद भी अखिलेश का दिल अभी चाचा शिवपाल को लेकर साफ़ नहीं हो सका है। शिवपाल के क़रीबियों की मानें तो उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का अपना अलग वजूद कायम रहेगा और अखिलेश से कोई मेल नहीं होगा। इतना ही नहीं, अखिलेश को हटाकर एक बार फिर से मुलायम सिंह यादव को सपा की कमान दिए जाने की भी कोई योजना नहीं है। सपा नेताओं की मानें तो हार के सदमे से उबरने के बाद अखिलेश एक बार फिर से पार्टी को खड़ा करेंगे और ज़रूरी बदलाव करेंगे। पार्टी में हाशिए पर चले गए मुलायम सिंह यादव की राय अब सभी अहम फ़ैसलों में ज़रूर ली जाएगी और वह पहले से ज़्यादा सक्रिय दिखेंगे, लेकिन अध्यक्ष अखिलेश यादव ही रहेंगे।
हार भी एक न कर सकी यादव परिवार को, शिवपाल अलग ही रहेंगे
- उत्तर प्रदेश
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- 14 Jun, 2019

पहले चर्चा थी कि सपा मुखिया अखिलेश के चाचा शिवपाल की घर वापसी हो सकती है। शिवपाल के क़रीबियों की मानें तो उनकी पार्टी का अखिलेश की सपा से कोई मेल नहीं होगा। चुनावी हार के बाद भी आख़िर क्यों नहीं मिल पा रहे हैं दोनों?