Vande Matram Controversy: यूपी के सीएम ने वंदे मातरम विवाद को और बढ़ा दिया है। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में सोमवार 10 नवंबर को कहा कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम गायन अनिवार्य किया जाएगा। जानिए पूरा घटनाक्रमः
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को गोरखपुर में कहा कि राज्य के सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में 'वंदे मातरम' का गायन अनिवार्य किया जाएगा। योगी ने शहर में 'एकता यात्रा' और 'वंदे मातरम' सामूहिक गायन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “राष्ट्रगीत वंदे मातरम के प्रति श्रद्धा और गौरव की भावना पैदा होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के हर स्कूल और शिक्षण संस्थान में इसका गायन अनिवार्य किया जाएगा।”
वंदे मातरम मुद्दे को ठीक से समझने के लिए सत्य हिन्दी पर प्रकाशित इन लेखों को पढ़ें।
जिन्ना-जौहर का जिक्र कर विपक्ष पर साधा निशाना
योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम का विरोध करने वालों पर तीखा प्रहार करते हुए पाकिस्तान के संस्थापक नेता मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना मोहम्मद अली जौहर का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने फिर से राष्ट्रगीत के खिलाफ विरोध जताया। यही लोग भारत की अखंडता के निर्माता सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती से गायब रहते हैं, लेकिन जिन्ना की जयंती मनाने में शर्म नहीं करते।”
उन्होंने ऐतिहासिक तथ्य याद दिलाते हुए बताया, “1896 से 1922 तक कांग्रेस के हर अधिवेशन में वंदे मातरम गाया जाता था। लेकिन 1923 में जब मौलाना मोहम्मद अली जौहर कांग्रेस अध्यक्ष बने, तो गीत शुरू होते ही वे सभा से बाहर चले गए और इसमें शामिल नहीं हुए। वंदे मातरम का यही विरोध भारत के विभाजन का एक दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना।”
मुख्यमंत्री का यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब देश भर में 'वंदे इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर वर्षभर का उत्सव मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 नवंबर 2024 को दिल्ली में इस उत्सव की शुरुआत की थी।
वंदे मातरम की रचना महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर की थी। यह गीत सबसे पहले उनकी पत्रिका 'बंगदर्शन' में प्रकाशित हुआ और बाद में उपन्यास 'आनंदमठ' का हिस्सा बना।
वंदे मातरम की रचना महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर की थी। यह गीत सबसे पहले उनकी पत्रिका 'बंगदर्शन' में प्रकाशित हुआ और बाद में उपन्यास 'आनंदमठ' का हिस्सा बना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कहा था, “वंदे मातरम भारत की एकता का सच्चा प्रतीक है। लेकिन 1937 में इस गीत के कांग्रेस ने टुकड़े कर दिए थे। इसी से देश में विभाजन के बीज बोए गए। यह गीत पीढ़ियों को प्रेरित करता रहा है। 150 वर्ष पूरे होने पर यह उत्सव देशवासियों को नई प्रेरणा और ऊर्जा देगा।”
हर नागरिक अपने तरीके से अपने धर्म का पालन करता हैः सपा
विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। सपा प्रवक्ता ने कहा कि “राष्ट्रप्रेम थोपने से नहीं, दिल से जगाना चाहिए।” सपा के सांसद आर.के. चौधरी ने कहा, "...न तो पूरा देश हिंदू है और न ही पूरा देश मुसलमान। दरअसल, इस देश का हर व्यक्ति एक नागरिक है, जो अपने धर्म का अपने तरीके से पालन करता है। लेकिन सरकार को अपने कर्तव्यों के अनुसार काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे संविधान का पालन करें। योगी आदित्यनाथ को समझना चाहिए कि वह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजा नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री हैं। उन्हें यह समझना होगा कि देश का हर नागरिक- चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई देश का नागरिक है और इस समझ को बनाए रखा जाना चाहिए...।"