loader
प्रतीकात्मक तसवीर।

दलित बच्चों ने कहा- सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथ का खाना नहीं खाएंगे

उत्तराखंड के चंपावत जिले के सूखीढांग गांव के एक सरकारी स्कूल में दलित भोजन माता के हाथ से खाना न खाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। स्कूल के प्रधानाचार्य ने एक पत्र लिखकर बताया है कि स्कूल के दलित छात्र/छात्राओं ने भी सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथों से खाना खाने से इनकार कर दिया है। इस मामले में उत्तराखंड के दलित संगठन भी मुखर होकर सामने आए हैं। 

प्रधानाचार्य के दस्तख़त से जारी इस पत्र में दलित छात्र/छात्राओं ने कहा है कि यदि दलित भोजन माता के पकाए भोजन से सामान्य वर्ग के छात्रों को नफ़रत है तो वे भी सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथों से बना खाना नहीं खाएंगे और अपना खाना घर से लेकर आएंगे। 

इस मामले में स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू की है और शिक्षकों और बच्चों से पूछताछ की है। 

ताज़ा ख़बरें

क्या है पूरा मामला?

उत्तराखंड सरकार ने सूखीढांग गांव के सरकारी स्कूल में सुनीता देवी नाम की महिला को भोजन माता के रूप में नियुक्त किया था। भोजन माता स्कूल में आने वाले बच्चों के लिए भोजन बनाने का काम करती हैं। सुनीता को इस पद पर सिर्फ़ 3 हज़ार रुपये में नियुक्त किया गया था।

पहले दिन तो स्कूल के बच्चों ने खाना खा लिया लेकिन अगले दिन सामान्य समुदाय के बच्चों ने सुनीता के हाथों से बना खाना खाने से इनकार कर दिया और वे अपने घर से खाना बनाकर लाने लगे। 

उत्तराखंड से और खबरें

इतना ही नहीं सुनीता की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए जाने लगे। गांव वाले स्कूल पहुंच गए और सुनीता को इस पद से हटाने का दबाव बनाने लगे। 

सुनीता ने कहा कि सामान्य समुदाय के बच्चों के माता-पिता ने उन्हें इतना अपमानित किया कि वह वापस नौकरी में जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं। उन्हें इस बात का भी डर है कि कहीं उनकी नियुक्ति को अवैध न घोषित कर दिया जाए। 

जबकि स्कूल की ओर से कहा गया है कि सुनीता की नियुक्ति नियमों के हिसाब से ही हुई है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तराखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें