उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अचानक दिल्ली बुलाए जाने से राज्य के अंदर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है। तीरथ इन दिनों संवैधानिक संकट का सामना कर रहे हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के मुताबिक़, चूंकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधायक नहीं हैं इसलिए उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए मुख्यमंत्री चुने जाने के दिन से छह महीने के अंदर विधानसभा का निर्वाचित सदस्य बनना होगा और यह समय सीमा 9 सितंबर को ख़त्म हो जाएगी। ऐसे में तीरथ के पास दो महीने से कुछ ज़्यादा दिन का वक़्त ही बचा है।