कोलकाता के ‘द टेलीग्राफ’ में छपे एक लेख ने वो लिखा जो कहना तो सब चाहते थे पर हिम्मत किसी ने नहीं की । रुचिर जोशी ने लिखा मोदी को इस्तीफ़ा देना होगा । क्या यही विकल्प हैं ? आशुतोष बता रहे हैं ।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।