16 मज़दूर ट्रेन से कट कर मर गये। सरकारें घड़ियाली आँसू बहा रही हैं। लेकिन लॉकडाउन के क़रीब 50 दिन में भी ग़रीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।