1986 से 2019 तक बाबरी मसजिद का मुकदमा लड़ने वाले वकील ज़फ़रयाब जिलानी से बात की आशुतोष ने। उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उनका कहना है majoritarianism से डर कर बाबरी मसजिद का दावा छोड़ना बुजदिली होती है। और मुसलमान कायरता का कायल नहीं है। देखें पूरा इंटरव्यू।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।