राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को इस पर विचार करना चाहिए कि जब वे कोई भली बात कहते हैं तो क्यों उनके अनुयायी मुँह दबा कर और दूसरे ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं। आर एस एस के प्रमुख के मुँह से प्रेम, सद्भाव ,शांति जैसे शब्द सुनकर उनके अनुयायी एक दूसरे से कहते हैं कि यह सब हमारे लिए नहीं है, यह तो दुनिया को सुनाने के लिए कहा जा रहा है। दूसरे कहते हैं कि इनकी इन बातों का कोई मोल नहीं, इन लोगों का कोई भरोसा नहीं। दोनों ही कहते हैं कि पिछले 100 साल में जाने कितनी बार ये बातें कही हैं लेकिन किया ठीक इसके उलटा है।
'गांधी विचार' के हत्यारे क्यों कर रहे हैं शांति की बातें, सावधान रहिये
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025

आरएसएस के बड़े से लेकर छोटे नेता अक्सर बयान देते हैं। लेकिन उनके कार्यकर्ता अब अपने पदाधिकारियों की बातों की सही बातों का भी कुछ और मतलब निकालने लगे हैं। अब जैसे मस्जिद के नीचे मंदिर नहीं तलाशने की अपील की गई तो स्वयंसेवकों ने कुछ और ही मतलब निकाला। स्तभंकार और चिंतक अपूर्वानंद की यह टिप्पणी हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का विश्लेषण करती नजर आ रही है। पढ़िएः