लोहे से लोहे को काटने वाली कहावत तो सबने सुनी होगी। पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनावों में दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आने का दावा करने वाली बीजेपी अब मामूली फेरबदल के साथ राजनीति में भी इसी कहावत को चरितार्थ करने पर तुली है। पार्टी ने टीएमसी सरकार के कथित भ्रष्टाचार के मुक़ाबले के लिए उन्हीं दाग़ी नेताओं की बैशाखी पर चलने का फ़ैसला किया है जो पहले से ही भ्रष्टाचार और हत्या तक के आरोपों से जूझ रहे हैं। यानी पार्टी यहाँ दाग़ियों से ही दाग़ धोने का फ़ॉर्मूला अपना रही है।
दो साल पहले टीएमसी से नाता तोड़ कर बीजेपी के पाले में जाने वाले मुकुल राय हों या फिर अमित शाह के दौरे के समय शनिवार को अपने दल-बल के साथ भगवा झंडा थामने वाले शुभेंदु अधिकारी, किसी का दामन उजला नहीं है। बीजेपी इन दोनों नेताओं को अपनी सबसे बड़ी पकड़ मानते हुए अपनी कामयाबी पर इतरा रही है।