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बंगाल में आधार कार्ड 'निष्क्रिय' क्यों किए जा रहे हैं? जानें ममता के बड़े आरोप

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले और सीएए यानी नागरिकता क़ानून को लागू किए जाने के कयासों के बीच पश्चिम बंगाल में आधार कार्ड को लेकर हलचल क्यों है? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले उनके राज्य में लोगों के आधार कार्ड निष्क्रिय करने का आरोप लगाया। उनका इशारा इस तरफ़ है कि कथित तौर पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। तो सवाल है कि आख़िर आधार कार्ड के डिएक्टिवेट यानी निष्क्रिय किए जाने से इस पर किस तरह का असर पड़ सकता है?

ममता बनर्जी का यह बयान उन ख़बरों के बीच आया है जिनमें कहा गया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों को यूआईडीएआई से पत्र मिले थे। पत्र में बताया गया कि उनके आधार नंबर निष्क्रिय कर दिए गए हैं और देश में रहने के लिए वे ज़रूरी चीजें पूरी नहीं करते हैं। रिपोर्ट है कि उत्तर 24-परगना, नादिया और पूर्वी बर्दवान जैसे जिलों में पिछले कुछ दिनों में कई लोगों को ऐसे पत्र मिले हैं।

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ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनावों से पहले राज्य में लोगों के आधार कार्ड को निष्क्रिय कर दिया है ताकि वे अपने बैंक खातों के माध्यम से सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले सकें। हालाँकि उन्होंने वादा किया कि उनकी सरकार विभिन्न राज्य संचालित कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भुगतान करना जारी रखेगी, भले ही किसी व्यक्ति के पास आधार कार्ड न हो।

ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव बी.पी. गोपालिका से कहा है कि वह उन लोगों के नाम दर्ज करने के लिए एक पोर्टल लॉन्च करें जिनके आधार कार्ड निष्क्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में किसी को भी अमान्य दस्तावेजों के कारण किसी भी सरकारी सेवा या लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।

ममता रविवार को बीरभूम के सूरी में एक लोक कल्याण वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मैंने सुना है कि वे पूरे बंगाल में आधार कार्ड को अमान्य कर रहे हैं। आपको ऐसा करने का अधिकार किसने दिया? मैं यहाँ मौजूद हमारे मुख्य सचिव से एक ऑनलाइन पोर्टल खोलने के लिए कहना चाहती हूं। मैं उन लोगों से अनुरोध करना चाहती हूं जिनके आधार कार्ड निष्क्रिय हो गए हैं, वे उस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करें।'
ममता ने स्वास्थ्य कर्मियों जैसे जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों से उन लोगों की रिपोर्ट करने को भी कहा जिनके आधार कार्ड हाल ही में निष्क्रिय कर दिए गए।
अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि ऐसे पत्र प्राप्त करने वालों को पंजीकृत करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की कवायद शुरू करने के मुख्यमंत्री के निर्देश से अधिकारियों को निष्क्रिय आधार नंबरों का डेटाबेस तैयार करने में मदद मिलेगी।
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ममता ने पूर्वी बर्दवान के जमालपुर में कथित तौर पर ऐसे पत्र प्राप्त करने वाले लोगों के एक समूह का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार किसी को भी कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं होने देगी, भले ही उनका आधार निष्क्रिय हो।

सीएए के लिए बहाना ढूंढ रही सरकार?

ममता ने बंगाल के लोगों को चेताया कि यहां के लोगों के आधार कार्ड को निष्क्रिय करना राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी और संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए को शुरू करने का एक बहाना है। उन्होंने कहा, 'आधार कार्ड से संबंधित घटनाक्रम उनके भ्रामक कदम हैं... मैं आप सभी को चेतावनी देना चाहती हूँ... वे एनआरसी और सीएए शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।' इसके साथ ही ममता ने कहा कि वह उनकी मदद करेंगी जो लोग निष्क्रिय आधार का शिकार हो गए।

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टेलीग्राफ ने सूत्र के हवाले से रिपोर्ट दी है कि पूर्वी बर्दवान जिला प्रशासन ने यूआईडीएआई से आधार-निष्क्रियकरण पत्र प्राप्त करने वालों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी, और दावा किया कि ऐसे पत्र प्राप्त करने वालों में से अधिकांश मतुआ थे।

तृणमूल की मतुआ नेता ममता बाला ठाकुर ने इस मुद्दे पर चर्चा करने और यूआईडीएआई के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में जुट गई हैं। टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार ठाकुर ने कहा, 'हम अपने समुदाय के लोगों और अपने राज्य के किसी भी व्यक्ति पर इस अत्याचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम आधार कार्डों को निष्क्रिय करने से रोकने के लिए बड़ा कदम उठाएंगे।'

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क़मर वहीद नक़वी
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