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ट्रंप ने हिंसा के लिये भीड़ को उकसाया था! 

बुधवार को राजधानी वॉशिंगटन के संसद परिसर कैपिटल में जिस समय डोनल्ड ट्रंप के समर्थक अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की, राष्ट्रपति न सिर्फ़ अपने दफ़्तर में टेलीविज़न पर चुपचाप तमाशा देखते रहे, बल्कि उन्होंने उस स्थिति में भी उस उत्तेजित भीड़ को और भड़काया। इस बीच ह्वाइट हाउस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे गुज़ारिश की कि वे हिंसा रोकने के लिए कुछ करें। पर वे चुप रहे। इसके थोड़ी देर पहले ही उन्होंने अपने समर्थकों की एक रैली को संबोधित करते हुए उन्हें हिंसा के लिए उकसाया था। 

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक़ जिस समय अमेरिकी संसद कांग्रेस के दोनों सदनों प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव्स) और सीनेट की संयुक्त बैठक की अंतिम तैयारियाँ चल रही थीं, ट्रंप ने अपने समर्थकों को उकसाया और उसके बाद ही हिंसा शुरू हुई। 

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वॉशिंगटन में जिस समय हिंसा हो रही थी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप न सिर्फ अपने दफ़्तर में बैठे टीवी पर सबकुछ देखते रहे, उन्होंने उसके पहले और बाद में लोगों को उकसाया। 

  • ट्रंप ने समर्थकों की रैली को संबोधित किया, कहा, 'चुनाव चुरा लिया गया है।'
  • उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।'
  • ट्रंप ने भीड़ को कैपिटॉल की ओर कूच करने को कहा।
  • राष्ट्रपति ने हिंसा के बावजूद शुरू में नेशनल गार्ड्स को नहीं बुलाया।
  • उन्होंने तोड़फोड़ होने और अपने सहयोगियों की अपील के बावजूद हिंसा रोकने की अपील नहीं की।
  • ट्रंप ने हिंसा के बीच वीडियो जारी किया तो शुरू में ही कहा कि 'चुनाव चुरा लिया गया है।'
  • राष्ट्रपति ने हिंसक भीड़ को 'देशभक्त' क़रार दिया।
  • उन्होंने कहा कि यह इसलिए हो रहा है कि 'अन्याय का सामना कर रहे लोगों से उनकी जीत छीन ली गई है।'
  • डोनल्ड ट्रंप ने कहा यह उनकी 'शिकायतों का दिन' है।

रैली को संबोधित किया

ट्रंप व्हाइट हाउस के पास एलिप्स नामक जगह पर अपने समर्थकों की एक रैली मे गए, उन्हें संबोधित किया। उन्होंने इस रैली में अपनी जीत का दावा किया, कहा कि “चुनाव चुरा लिया गया है।” लोगों को उकसाते हुए उन्होंने कहा कि “आप कमज़ोरी के साथ अपने देश को फिर से हासिल नहीं कर सकते।”

इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तेजित समर्थकों की भीड़ से कहा कि वे कैपिटल की ओर कूच करें। भीड़ उसके बाद ही उस ओर बढ़ने लगी। 

'चुनाव चुरा लिया गया है'

‘न्यूयॉर्क टाइम्स ने ह्वाइट हाउस के सूत्रों के हवाले से कहा है कि जिस समय उत्तेजित भीड़ कैपिटल की ओर बढ़ रही थी, राष्ट्रपति ट्रंप अपने ओवल ऑफ़िस में बैठ कर टेलीविज़न पर सबकुछ देख रहे थे। राष्ट्रपति भवन के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मार्क मेडोज़ से बात करते रहे। जो कुछ हो रहा था, मेडोज़ उससे बहुत ही परेशान थे। राष्ट्रपति ने ह्वाइट हाउस के वकील पैट सिपोलोन से बात की। 

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जब भीड़ हिंसक हो उठी तो राष्ट्रपति के बेटे डोनल्ड ट्रंप जूनियर ने ट्वीट कर लोगों से हिंसा रोकने की अपील की। राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रंप ने हिंसा की निंदा की। प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने चुप्पी साधे रखी। ट्रंप के दूसरे बेटे एरिक ने ट्वीट किया भी तो यह बताया कि कितने लोगो ने उनके जन्मदिन पर गाना गाया। 

'भीड़ में उग्रवादी'

राष्ट्रपति के पूर्व सहयोगियों ने इस दौरान भीड़ के व्यवहार की निंदा की। उनके पूर्व वकील केलेन कॉनवे ने टेलीविज़न चैनल ‘एबीसी’ से कहा कि भीड़ में उग्रवादी लोग हैं। 

डोनल्ड ट्रंप के पूर्व कम्युनिकेशन डाइरेक्टर एलीसा फरा ने बार-बार अपील की कि वे कुछ कहें। पर राष्ट्रपति चुप रहे। मेडोज़ और दूसरे ह्वाइट हाउस अधिकारियों ने राष्ट्रपति से अपील की कि वे हिंसक भीड़ को आगे नहीं जाने की अपील करें। 

नेशनल गार्ड्स बुलाने में देर

इतना ही नहीं जब भीड़ परिसर की ओर कूच करने लगी थी, तो राष्ट्रपति ने नेशनल गार्ड्स को बुलाने की सलाह को खारिज कर दिया था। लेकिन ह्वाइट हाउस के वकील सिपोलोन के हस्तक्षेप करने पर नेशनल गार्ड्स को बुलाया गया। 

जब हिंसा बढ़ने लगी, तोड़फोड़ होने लगी तो राष्ट्रपति के कई सहयोगियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे अपील की कि वे हिंसा रोकने की अपील करें। पर राष्ट्रपति ने चुप्पी बरक़रार रखी। बाद में उन्होंने एक ट्वीट किया, लेकिन उसमें भी हिंसा की निंदा नहीं की।

वीडियो में उकसाने वाली बातें

वरिष्ठ अधिकारियों के बहुत ज़िद करने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने एक वीडियो संदेश जारी किया। लेकिन इसकी शुरुआत ही उन्होंने इससे की कि ‘राष्ट्रपति चुनाव चुरा लिया गया है।’ वे इसके पहले भी ऐसा कह चुके थे और उन्होंने अपने समर्थकों की रैली में भी यही कहा था। लेकिन वीडियो के अंत में ट्रंप लोगों से यह अपील करते हुए देखे जाते हैं कि ‘वे अपने घर चले जाएं।’ बाद में फ़ेसबुक ने इस वीडियो को डिलीट कर दिया। 

हिंसा करने वालों को बताया देशभक्त

इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि यह दिन उनकी शिकायतों के इज़हार का है। उन्होंने कहा,

“इस तरह की बातें और घटनाएँ तब होती हैं जब काफी दिनों से अन्याय का सामना कर रहे देशभक्तों से उनकी पवित्र और ज़बरदस्त जीत को दुष्टतापूर्ण और असम्मानजनक तरीके से छीन लिया जाता है।”


डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

इससे साफ है कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले से ही हिंसा और तोड़फोड़ कर रहे अपने उत्तेजित समर्थकों की भीड़ को और उकसा रहे थे, वे आग में घी डालने का काम कर रहे थे, उसे बुझाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। इसे इससे समझा जा सकता है कि ट्रंप ने भीड़ के व्यवहार को उचित ठहराया, उन्हें देशभक्त बताया और एक बार फिर दुहराया कि उनकी जीत को चुरा लिया गया है या उनसे छीन लिया गया है।

ट्रंप यहीं नही रुके। हिंसा भड़कने के बाद उनके सहयोगी और केंटकी के सीनेटर रैंड पॉल ने उम्मीद जताई कि अब कांग्रेस की बैठक में चुनाव नतीजों को चुनौती नहीं दी जाएगी तो ट्रंप ने कहा कि वे चाहते हैं कि “उनके सहयोगी और सीनेटर इस लड़ाई को जारी रखें।”

यानी वे यह कह रहे थे कि इस हिंसा के बावजूद उनके दल के सांसदों को नहीं रुकना चाहिए और जो बाइडन को जीत का सर्टिफिकेट देने के लिए हो रही बैठक में चुनाव नतीजों को चनौती देनी चाहिए। 

ह्वाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों और ट्रंप के सहयोगियों ने हिंसा पर चिंता जताई, उसका विरोध किया, कुछ लोगों ने इस्तीफ़ा तक दे दिया, पर राष्ट्रपति टस से मस नहीं हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने भी भीड़ की निंदा की ओर उप राष्ट्रपति माइक पेंस की तारीफ की। 

इस बीच कई डेमोक्रेट सीनेटरों ने राष्ट्रपति के ख़िलाफ महाभियोग लाने की अपील की तो कुछ लोगों ने अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 25 का इस्तेमाल करते हुए डोनल्ड ट्रंप को पद से हटाने की माँग की। 

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क़मर वहीद नक़वी
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