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बग़दादी को मरवाया उसके ही क़रीबी ने, अब मिलेगा 1.77 अरब का ईनाम!

अबु बकर अल बग़दादी को आईएसआईएस ऑपरेटिव ने ही मरवा दिया। यानी घर का भेदी लंका ढाए। बग़दादी को मारने का भले ही ऑपरेशन अमेरिकी सुरक्षा बलों ने चलाया हो, लेकिन इसमें सबसे बड़ा काम किया बग़दादी की ख़ुफ़िया ठिकाने की जानकारी देने वाले ने। यह जानकारी देने वाला कोई और नहीं, बल्कि वह आईएसआईएस में ही बड़े ओहदे पर था। वह बग़दादी के सीरिया में कहीं आने-जाने और उसके ठहरने के सुरक्षित ठिकानों में मदद करता था। यह जानकारी मध्य-पूर्व में तैनात उन अमेरिकी अधिकारियों ने दी है जो इस ऑपरेशन से जुड़े रहे हैं। तो सवाल उठता है कि सूचना देने वाले ने अपने ही नेता बग़दादी को अमेरिका के लिए शिकार क्यों बना दिया? 

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जिन अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से मीडिया में यह रिपोर्ट आई है उसमें मोटे तौर पर दो कारण उभर कर सामने आते हैं। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक तो यह कि बग़दादी पर 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी क़रीब 1.77 अरब रुपये का ईनाम था। और दूसरा यह कि वह इसलिए आईएसआईएस के ख़िलाफ़ हो गया क्योंकि उसका कोई रिश्तेदार इस आतंकवादी संगठन द्वारा मारा गया था। जान पर ख़तरा के मद्देनज़र उस सूचना देने वाले व्यक्ति के नाम से लेकर उसकी राष्ट्रीयता तक को भी गुप्त रखा गया है। माना जाता है कि उसे पूरे 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी मिल सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सूचना देने वाले उस व्यक्ति और उसके पूरे परिवार को उस क्षेत्र से बग़दादी के मारे जाने के दो दिन बाद ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और किसी अनजान जगह पर रखा गया है। 

जब अमेरिकी सेना के डेल्टा फ़ोर्सेस ने सीरिया के इडलिब में बग़दादी के ठिकानों पर हमला किया तो उनके पास पूरे कंपाउंड का नक्शा था। सूचना देने वाले ने हर उस जगह की जानकारी दी थी जो कंपाउंड में मौजूद थी। हर कमरे का नक्शा था।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट में अमेरिकी सेना के अधिकारियों के हवाले से लिखा गया है कि इस ठिकाने पर कार्रवाई करने के लिए क़रीब दो महीने से तैयारी चल रही थी। अमेरिकी सेना के अभियान में सीरिया डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेस मदद कर रही थी और कुर्दिश मिलिशिया भी क्षेत्र में गुप्त रूप से मदद कर रहे थे। इन्होंने ही आईएसआईएस के उस सूचना देने वाले को साधा था और फिर अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों को सौंप दिया था। इसके बाद इन एजेंसियों ने इसकी सच्चाई की पड़ताल की और फिर इस ऑपरेशन पर आगे बढ़े। 

हाल ही में 'वाशिंगटन पोस्ट' ने अमेरिकी रक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा था कि आईएसआईएस के ही किसी असंतुष्ट ने बग़दादी के ख़ुफ़िया ठिकाने के बारे में जानकारी दी थी। एनबीसी न्यूज़ से इंटरव्यू में भी सीरिया डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेस के नेता जनरल मज़लूम अब्दी ने कहा था कि उनके संगठन के एक सूचना देने वाले ने बग़दादी के कंपाउंड तक अमेरिकी सेना को पहुँचाने में मदद की है। उन्होंने यह भी कहा था कि उसके कंपाउंड से अंडरवीयर सहित कई सामान लिए गए थे ताकि डीएनए जाँच से बग़दादी के वहाँ मौजूद होने की बात पुख्ता हो जाए। 

हालाँकि सीरिया डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेस की भूमिका पर अमेरिकी अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और उन्होंने यह कहा कि बग़दादी के ख़िलाफ़ किया गया ऑपरेशन सिर्फ़ अमेरिका का अभियान था। 

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रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि डेल्टा फ़ोर्स सूचना देने वाले की अच्छी तरह जाँच करने के बाद ही ऑपरेशन को अंजाम देना चाहती थी। क्योंकि ख़ुफ़िया एजेंसियाँ अफ़ग़ानिस्तान के खोस्त की सीआईए की 2009 की उस ग़लती को दोहराना नहीं चाहती थीं जब एक सूचना देने वाले ने अल-क़ायदा के नेताओं के बारे में जानकारी देने के लिए एक मीटिंग के दौरान ख़ुद को बम से उड़ा लिया था। इसमें सात अमेरिकी ख़ुफ़िया ऑपरेटिव भी मारे गए थे।

एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि सूचना देने वाले ने पाला इसलिए बदला क्योंकि साफ़ तौर पर उसका आईएसआईएस में विश्वास नहीं रहा था। उसकी मदद के बावजूद, ज़मीन पर हालात बदलते ही बग़दादी को मारने या पकड़ने की योजना कई बार बनी या बदली गई।

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बता दें कि अमेरिकी सेना के जवानों और प्रशिक्षित कुत्तों को 8 हैलीकॉप्टर्स के ज़रिये बग़दादी के ठिकानों पर भेजा गया था। ये जवान अमेरिका की विशेष डेल्टा फ़ोर्स के जवान थे। इस अभियान को लेकर ट्रंप ने कहा था, ‘सीरिया के इदलिब में अमेरिकी सेना के और विमान भी थे। बग़दादी के परिसर में घुसते ही अमेरिकी सेना के हैलीकॉप्टर्स पर गोलियां बरसनी शुरू हो गईं लेकिन अमेरिकी बलों ने भी इसका जोरदार जवाब दिया और बग़दादी के परिसर में हैलीकॉप्टर्स को उतार दिया।’ ट्रंप ने कहा कि बिना नुक़सान पहुंचाये 11 बच्चों को परिसर से बाहर निकाल लिया गया और उन्हें सुरक्षा में भेज दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिकी जवानों ने आईएस के कई लड़ाकों को बंधक बना लिया और बाद में उन्हें जेल में डाल दिया गया।
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क़मर वहीद नक़वी
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