डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ के बाद भारत और अमेरिका के बीच आए तनाव को लेकर अब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि 'दो महान देश इसे हल कर लेंगे।' उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाक़ात के बाद आई है। बेसेंट अकेले शख्स नहीं हैं जिन्होंने इस तरह का आशावादी रूख दिखाया है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी भारत और अमेरिका को पक्का दोस्त बताया। भारत के ख़िलाफ़ लगातार ज़हर उगलने वाले व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भी दबी जुबान में कहा कि भारत को अमेरिका के साथ रहने की ज़रूरत है, न कि रूस के साथ।
अमेरिकी अधिकारी अब क्यों कहने लगे- 'दो महान देश ट्रंप टैरिफ़ को हल कर लेंगे'?
- दुनिया
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- 2 Sep, 2025
अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिया कि भारत और अमेरिका ट्रंप टैरिफ़ विवाद हल कर सकते हैं। क्या मोदी, पुतिन और जिनपिंग की मुलाक़ात के बाद बदला अमेरिका का रवैया? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग।
यह सब घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ़ लगाने के बाद आया है। इसमें 25% टैरिफ़ रूस से तेल और हथियार खरीदने की सजा के रूप में शामिल है। अमेरिका का दावा है कि भारत का रूस के साथ तेल व्यापार यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों को अप्रत्यक्ष रूप से फंड मुहैया कर रहा है। 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी 35-40% तक बढ़ गई है। भारत ने इन आरोपों को लगातार खारिज किया है, यह तर्क देते हुए कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हितों और बाजार के हिसाब से है।