अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से उपजे हालात के बीच चीनी विदेशमंत्री वांग यी का भारत दौरा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा की चर्चा ने एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों को चर्चा में ला दिया है। ऐसा लगता है कि ट्रंप के दबाव का मुक़ाबला करने के लिए भारत का चीन के साथ संबंध सुधारने के अलावा कोई चारा नहीं है। मोदी सरकार की चीन नीति में साफ़-साफ़ यूटर्न नज़र आ रहा है। ऐसे में सवाल ये है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उस कथित राष्ट्रवादी प्रचार का क्या होगा जो चीन को दुश्मन बताते हुए दीवाली पर चीनी झालरों के बहिष्कार की वकालत करता है? सवाल यह भी है कि क्या भारत की विदेश नीति पेंडुलम बन गई है, जो कभी अमेरिका की ओर झुकती है, तो कभी चीन की ओर?
ट्रंप के दबाव से निपटेगा हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा!
- विश्लेषण
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- 22 Aug, 2025

बीजिंग ने कहा है कि चीन और भारत एशिया के डबल इंजन है और इसने ट्रंप के टैरिफ़ के ख़िलाफ़ भारत का समर्थन किया है। ट्रंप के टैरिफ़ दबाव के बीच भारत-चीन रिश्तों में नया मोड़ आ सकता है। क्या हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा फिर से रणनीतिक विकल्प बनेगा?
ऑपरेशन सिंदूर में चीन
7 मई 2025 को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जो 10 मई तक चला। इस अभियान में भारत ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। लेकिन चर्चा है कि चीन की सैन्य तकनीकी मदद के कारण पाकिस्तान इस मुकाबले में टिका रहा। भारत के कुछ लड़ाकू विमान भी गिराए गए, जिसे सेना ने स्वीकार किया, हालांकि सटीक संख्या का खुलासा नहीं हुआ। इस दौरान न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन भी भारत के निशाने पर था।
27 मई को गांधीनगर में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए चीन पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हमें गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवानी होगी कि विदेशी सामानों से कितना भी मुनाफा क्यों न हो, कोई भी विदेशी चीज नहीं बेचेंगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेश से आ जाते हैं। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है।” यह ‘छोटी आंख’ वाला बयान, जिसे नस्लीय टिप्पणी के रूप में देखा गया, स्पष्ट रूप से चीन पर निशाना था। यह स्वदेशी अपील ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए थी जिसके लिए चीनी सामानों का बहिष्कार ज़रूरी बताया जा रहा था। लेकिन ढाई महीने बाद ही स्थिति बदलती दिख रही है।