कांग्रेस और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच बात क्यों नहीं बनी? वह भी तब जब कहा जा रहा था कि कांग्रेस को जितनी ज़रूरत पीके की है उतनी ही पीके को भी कांग्रेस जैसी पार्टी की ज़रूरत है! तो सवाल है कि आख़िर इसके पीछे की वजह क्या थी? क्या कांग्रेस नेताओं का अड़ियल रुख या फिर प्रशांत किशोर का तेलंगाना में केसीआर के साथ अनुबंध करना? या फिर उनके बीच में विचारधारा की दिक्कतें हैं?