भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने आपातकाल की याद में हर साल 25 जून को "संविधान हत्या दिवस" के रूप में मनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सत्ता में एक दशक तक रहने के बाद यह खयाल क्यों आया? इसका तात्कालिक जवाब चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजे में ढूंढा जा सकता है, जिसमें भाजपा अपने दम पर बहुमत से 33 सीटें कम रह गई। इस चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने संविधान पर संभावित हमले को मुद्दा बनाया था।और अब वह संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार पर इसे लेकर हमलावर है। जाहिर है, "संविधान हत्या दिवस" की घोषणा एक नया राजनीतिक नरैटिव खड़ा करने की कोशिश है। शायद उससे अधिक।