उमर खालिद और
उनके सह-आरोपियों का मामला भारत में कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में
गंभीर सवाल उठा रहा है। यह उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो यह मानते हैं कि कानून
का शासन हमेशा निष्पक्ष और तटस्थ होता है। यह मामला यह दर्शाता है कि कानून का
दुरुपयोग कैसे व्यक्तियों को निशाना बना सकता है, असहमति को दबा सकता है,
और पूरे समाज
में भय का माहौल पैदा कर सकता है।
उमर खालिद और अन्यः असहमत होने की कीमत कितनी और कब तक
- विश्लेषण
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- 5 Sep, 2025

Khalid and others- suppression of dissent in India: उमर खालिद और अन्य एक्टिविस्ट का मामला भारत में असहमति को दबाने का जीता जागता उदाहरण है। बिना सबूत के लंबी हिरासत इंसाफ और मानवाधिकारों को कमजोर कर रहा है। जाने माने चिंतक योगेंद्र यादव की टिप्पणीः