दो दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी- बॉम्बे हाइकोर्ट ने सीपीएम को मुंबई में फिलिस्तीन के मुद्दे पर प्रदर्शन करने की इजाज़त नहीं दी। उल्टे यह सलाह दे डाली कि सीपीएम देश के ज़रूरी मुद्दों पर प्रदर्शन करे। इस पर आने वाली टिप्पणियों से समझ में आया कि लोग किस तरह मूल मुद्दों से भटक कर अपने पूर्वग्रहों के ही शिकार हो जाते हैं।