एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 29 मई को दिल्ली में CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में रक्षा खरीद में देरी और उपकरणों की कमी पर गंभीर सवाल उठाए। उनकी चेतावनियाँ न केवल सेना की कमियों को उजागर करती हैं, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाती हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार और बीजेपी कार्यकर्ता "ऑपरेशन सिंदूर" की सियासत में व्यस्त हैं, लेकिन असल मसला तो सेना की जरूरतों पर तवज्जो देना है। एयर चीफ़ मार्शल अगर चिंता जता रहे हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में बैठकर इन कमियों पर निगरानी करने के बजाय केवल चुनावी रोड शो में मशगूल हैं।

एयर चीफ मार्शल की चेतावनी

29 मई को दिल्ली में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा खरीद में देरी पर तीखी टिप्पणी की। उनके शब्द थे: "ऐसा एक भी प्रोजेक्ट नहीं है, जो समय पर पूरा हुआ हो। कई बार कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय ही पता होता है कि डेडलाइन नहीं पूरी होगी, फिर भी झूठे वादे किए जाते हैं।" उन्होंने तेजस MK1A, MK2, और AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में देरी पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा, "तेजस MK1 की डिलीवरी में देरी हो रही है। तेजस MK2 का प्रोटोटाइप अभी तक नहीं बना। स्टेल्थ AMCA फाइटर का भी कोई प्रोटोटाइप नहीं है। हमें सिर्फ रक्षा उत्पादन की बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि डिजाइनिंग पर भी ध्यान देना होगा। सेना और उद्योग के बीच विश्वास की जरूरत है। हमें आज जो चाहिए, वह आज चाहिए।"

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यह पहली बार नहीं था। जनवरी 2025 में, उन्होंने 48,000 करोड़ रुपये के तेजस कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद मार्च 2024 तक एक भी विमान की डिलीवरी न होने पर चिंता जताई थी। लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज किया गया। और तो और, एक्स पर कुछ यूजरों ने उन्हें "खालिस्तानी" कहकर ट्रोल किया। यह शर्मनाक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाने वाले अधिकारी को व्यक्तिगत हमलों का सामना करना पड़ता है। एयर चीफ़ मार्शल की बातों में विवशता साफ़ झलकती है। भारतीय वायु सेना पुराने मिग-21 जैसे विमानों को बदलने के लिए आधुनिक विमानों की माँग कर रही है, लेकिन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रक्षा मंत्रालय की प्रगति धीमी है। यह स्थिति केवल वायु सेना तक सीमित नहीं है—थल सेना और नौसेना भी ऐसी ही चुनौतियों से जूझ रही हैं।

तीनों सेनाओं का हाल

भारतीय सेना, 14 लाख सक्रिय सैनिकों के साथ, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में यह चौथे स्थान पर है, लेकिन कई कमियाँ इसे कमजोर कर रही हैं।

थल सेना

सैनिकों की कमी: 1,80,000 सैनिकों की कमी, खासकर लद्दाख और सियाचिन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में। अग्निपथ योजना ने स्थायी भर्तियों को कम कर चार साल की अल्पकालिक सेवा पर जोर दिया, जिससे प्रशिक्षण और अनुभव की कमी की आलोचना हो रही है। माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स, जिसकी स्थापना 2014 में हुई, में एक दशक से भर्तियाँ नहीं हुईं।

विश्लेषण से और

हथियार और उपकरण

आर्टिलरी: 155 मिमी अल्ट्रा-लाइट होवित्जर की आपूर्ति में देरी। बोफोर्स और धनुष तोपें हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं।

टैंक: T-90 भीष्म और अर्जुन टैंक मौजूद हैं, लेकिन पुराने T-72 टैंकों का आधुनिकीकरण धीमा।

गोला-बारूद: 2017 की CAG रिपोर्ट में कहा गया कि 40% गोला-बारूद युद्ध में 10 दिन से ज्यादा नहीं टिकेगा।

विशेषज्ञों की चेतावनी

  • 2017: CAG ने गोला-बारूद की कमी को "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" बताया।
  • 2022: पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत ने बजट की कमी की ओर इशारा किया।
  • 2025: रक्षा विशेषज्ञ लक्ष्मण बेहरा ने आधुनिकीकरण बजट में 0.9% कमी की आलोचना की।

वायु सेना

लड़ाकू विमान: 42 स्क्वाड्रन (756 विमान) चाहिए, लेकिन केवल 31 स्क्वाड्रन (558 विमान) उपलब्ध। मिग-21 और जगुआर पुराने हो चुके हैं।

तेजस और राफेल: तेजस की डिलीवरी में देरी, क्योंकि अमेरिकी जेट इंजन की आपूर्ति रुकी है। केवल 36 राफेल खरीदे गए, जबकि 72 चाहिए।

वायु रक्षा सिस्टम: आयरन डोम जैसे सिस्टम की कमी। मध्यम दूरी की मिसाइलें (MRSAM) और AWACS की भी कमी।

विशेषज्ञों की चेतावनी

  • 2024: पूर्व एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने विमानों की कमी पर चिंता जताई।
  • 2025: अमर प्रीत सिंह ने CII सम्मेलन में देरी और पारदर्शिता की कमी को उठाया।

नौसेना

युद्धपोत और पनडुब्बियां: 117 युद्धपोत और पनडुब्बियां, लेकिन माइन काउंटरमेजर वेसल्स (MCMV) की एक भी इकाई नहीं।

पनडुब्बियाँ: 24 की ज़रूरत है, केवल 16 उपलब्ध।

विमानवाहक पोत: INS विक्रांत कमीशन हुआ, लेकिन दूसरा पोत निर्माणाधीन।

विशेषज्ञों की चेतावनी

  • 2023: कैप्टन (रि.) के.के. अग्निहोत्री ने पनडुब्बियों की कमी पर जोर दिया।
  • 2025: रक्षा विशेषज्ञों ने MCMV की कमी को रणनीतिक कमजोरी बताया।
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स्टेल्थ विमानों का ख़तरा

ऑपरेशन सिंदूर ने वायु सेना की अहमियत को रेखांकित किया। लेकिन एक नई चुनौती सामने है। सूत्रों के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ J-35A लड़ाकू विमान देने का फैसला किया है। स्टेल्थ तकनीक रडार से बचने में सक्षम होती है, जो भारत के लिए खतरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे हवाई शक्ति का संतुलन पाकिस्तान के पक्ष में हो सकता है।

रक्षा मंत्रालय ने AMCA (पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ विमान) के लिए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) को मंजूरी दी है, लेकिन इसका प्रोटोटाइप 2028 तक और पूर्ण उत्पादन 2035 तक होगा। तब तक भारत के पास कोई पांचवीं पीढ़ी का विमान नहीं होगा, जिससे रणनीतिक कमजोरी बढ़ेगी।

रक्षा बजट

भारत का रक्षा बजट दुनिया का चौथा सबसे बड़ा है, लेकिन यह चुनौतियों के लिए अपर्याप्त है।

2024-25: 6.2 लाख करोड़ रुपये, जिसमें आधुनिकीकरण के लिए 1.72 लाख करोड़ (27%) जो जीडीपी का 1.9% है। यह चीन (2.1% जीडीपी) और पाकिस्तान (2.36% जीडीपी) से कम है।

मेक इन इंडिया: सरकार ने 65% रक्षा उपकरण स्वदेशी बनाने का दावा किया, लेकिन तेजस, धनुष तोप, और MCMV जैसे प्रोजेक्ट्स में देरी बनी हुई है। 44,000 करोड़ रुपये की MCMV परियोजना को मंजूरी मिली, लेकिन पहला युद्धपोत 7-8 साल बाद तैयार होगा।

वेतन और पेंशन पर 70% से ज्यादा खर्च होने से आधुनिकीकरण के लिए संसाधन सीमित हैं। संसद की स्थायी समिति (2018) ने सुझाव दिया कि रक्षा बजट को जीडीपी का 3% करना चाहिए।

सिंदूर और सियासत

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, बीजेपी और सरकार ने इसे 2025 के राज्य चुनावों में भुनाने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में हर जोड़े को 1 लाख रुपये और सिंदूरदानी देने की घोषणा की। बीजेपी कार्यकर्ता "घर-घर सिंदूर" बांटने की योजना बना रहे हैं, इसे ऑपरेशन सिंदूर के सम्मान से जोड़ा जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पल-पल की निगरानी की, लेकिन रक्षा खरीद और आधुनिकीकरण पर ऐसी निगरानी नहीं दिखती। उनके रोड शो, जैसे गुजरात के दाहोद (26 मई 2025) में, भारी भीड़ जुटाते हैं। वह "पाकिस्तान में घुसकर मारा" जैसे डायलॉग्स बोलते हैं, लेकिन सेना की ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देते। उन्हें दिल्ली में बैठकर रक्षा खरीद और आधुनिकीकरण पर सख्त निगरानी करनी चाहिए। सेना का चुनावी इस्तेमाल बंद होना चाहिए। असल राष्ट्रवाद सिंदूर उड़ाने का नाटक नहीं, बल्कि सेना को सशक्त करना है।