लेह में बीजेपी का दफ़्तर फूँकने की घटना सामान्य नहीं है। यह युवाओं में बेरोज़गारी के प्रति बढ़ते ग़ुस्से का संकेत है जो लेह से लेकर देहरादून तक दिखायी दे रहा है। लद्दाख में हुई हिंसा इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यहाँ के लोगों ने पाँच साल पहले अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने पर जश्न मनाया था। लेकिन अब वही लोग मोदी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर सड़क पर हैं। केंद्र सरकार ने 24 सितंबर को हुई हिंसा में चार लोगों के मारे जाने और क़रीब सत्तर लोगों के घायल होने की ज़िम्मेदारी जलवायु और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांग्चुक पर डालते हुए उनके ख़िलाफ़ तरह-तरह की जाँच शुरू कर दी है जो इस आग में घी डालने जैसा काम है।