ईरान-इसराइल युद्ध में भारत की ‘तटस्थता' साफ़ तौर पर इसराइल के पक्ष में झुकी दिखाई देती है। भारत और ईरान के संबंध हज़ारों साल पुराने हैं। ईरान का नाम ही ‘आर्यों का देश’ है, और प्राचीन काल में आर्यों की एक शाखा ने ही वेदों की रचना की थी। भारत का भी एक नाम ‘आर्यावर्त’ रहा है। जब पाकिस्तान का अस्तित्व नहीं था तो भारत और ईरान पड़ोसी देश थे। दोनों की सिर्फ़ सीमाएं ही नहीं मिलती थीं, बल्कि हजारों साल का सांस्कृतिक रिश्ता भी था लेकिन ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इसराइल की आक्रामक भाषा के साथ ज्यादा सहज है, जो ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनई की खुलेआम हत्या की धमकी दे रहा है। यह भारत की विदेश नीति में हमेशा मौजूद रहे नैतिक आधार के लोप का संकेत है।