ईरान-इसराइल युद्ध में भारत की ‘तटस्थता' साफ़ तौर पर इसराइल के पक्ष में झुकी दिखाई देती है। भारत और ईरान के संबंध हज़ारों साल पुराने हैं। ईरान का नाम ही ‘आर्यों का देश’ है, और प्राचीन काल में आर्यों की एक शाखा ने ही वेदों की रचना की थी। भारत का भी एक नाम ‘आर्यावर्त’ रहा है। जब पाकिस्तान का अस्तित्व नहीं था तो भारत और ईरान पड़ोसी देश थे। दोनों की सिर्फ़ सीमाएं ही नहीं मिलती थीं, बल्कि हजारों साल का सांस्कृतिक रिश्ता भी था लेकिन ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इसराइल की आक्रामक भाषा के साथ ज्यादा सहज है, जो ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनई की खुलेआम हत्या की धमकी दे रहा है। यह भारत की विदेश नीति में हमेशा मौजूद रहे नैतिक आधार के लोप का संकेत है।
फ़ारस से ईरान होने की कहानी और इसराइली हमले पर भारत की चुप्पी!
- विश्लेषण
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- 20 Jun, 2025

ईरान की पहचान फ़ारस से ईरान बनने तक कैसे बदली और इस ऐतिहासिक राष्ट्र पर इसराइली हमलों के बीच भारत की चुप्पी क्या दिखाती है? जानिए भू-राजनीतिक स्थिति और भारत की कूटनीति की दिशा।
13 जून 2025 को इसराइल ने अचानक ईरान पर हमला किया, जबकि 15 जून को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संधि वार्ता का अगला दौर तय था। ईरान ने जवाबी हमला किया, और भले ही वह इसराइल को बराबर नुकसान न पहुंचा सका, लेकिन इतनी क्षति जरूर की है कि इसराइल का दंभ टूट जाये। इसराइल के पीछे अमेरिका की ताकत है, और दोनों खामेनई की हत्या की धमकी दे रहे हैं। यह कूटनीतिक इतिहास की शर्मनाक घटना है, जहां एक राष्ट्राध्यक्ष की हत्या की बात खुलेआम की जा रही है।