अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा के करीब अड़तालीस घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को देश की मांओं और बहनों को समर्पित करके क्या अपने और अपनी सरकार के प्रायश्चित का इज़हार किया है? ये प्रायश्चित क्या उस गम्भीरतम आपराधिक प्रशासनिक लापरवाही के लिए है जो पहलगाम की सैरगाह बैसरन में 25 बेक़सूर भारतीय सैलानियों और आतंकियों को ललकारने वाले एक कश्मीरी युवक को लील गई।

क्या यह प्रायश्चित उन मांओं, पत्नियों और बहनों के प्रति है जिन्होंने अपनी आँखों के सामने धर्मांध आतंकियों की गोली से अपने बेटों, पतियों, पिताओं और भाइयों का लाल खून बेवजह बहते देखा है? क्या प्रायश्चित उस वीरपत्नी हिमांशी नरवाल के प्रति है जिसका आतंकी दुस्साहस को धार्मिक रंग से इतर रखने की अपील के कारण भाड़े के ट्रोलरों ने कोस कोस कर जीना हराम किया? क्या यह प्रायश्चित जम्मू कश्मीर के उन सीमाई बाशिंदों के लिए है जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी में बेवजह अपनी जान से हाथ धोने पड़े?

क्या यह प्रायश्चित उन सैनिकों के प्रति है जो ऑपरेशन सिंदूर में वीरगति को प्राप्त हो गए? क्या यह प्रायश्चित देश भर के मुसलमानों और ख़ास कर कश्मीर के बाशिंदों के लिए है जिन्होंने बैसरन नरसंहार की सिर्फ़ अपनी ज़ुबान से ही मज़म्मत नहीं की बल्कि जुमे की नमाज़ में बेकसूरों का ख़ून बहाने वालों को दोज़ख़ की आग में जलाने और जान गंवाने वालों को जन्नतनाशीं करने की अपने खुदा से दरख्वास्त की? इसके बावजूद उनके ख़िलाफ़ ट्रोलरों ने दिन रात नफ़रत फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले ट्रोलरों की ध्रुवीकरण की कोशिश के लिए है ये प्रायश्चित?

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क्या यह प्रायश्चित बड़बोले गृहमंत्री अमित शाह और उनके मातहत जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल सहित समूचे प्रशासन के पहलगाम में अंगूठा चूसते पकड़े जाने के लिए है? क्या यह प्रायश्चित प्रधानमंत्री द्वारा अपने ख़ुद के और अमित शाह तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जम्मू कश्मीर में शांति बहाली और करोड़ों लोगों के वहाँ बेख़ौफ़ घूमने जाने के दावों के लिए है जिनके भरोसे वहाँ परिवार सहित पहुँचे सैलानियों को अपने ही देश में धर्म पूछकर गोली मारने वालों के हाथों मरना पड़ा? क्या देश के विभिन्न कोनों से घूमने गए ये सैलानी मोदी और उनके मंत्रियों के दावों से आश्वस्त होकर ही पहलगाम घूमने नहीं गए थे? क्या यह उन बेकसूर सैलानियों से केंद्र और उसकी प्रादेशिक सरकार का विश्वासघात नहीं है?

इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सशस्त्र सेना और अर्धसैनिक बलों ने ऑपरेशन सिन्दूर को सफलतापूर्वक संपन्न करके सिर्फ़ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि वहाँ से प्रशिक्षित दुनिया भर में फैले हूरों के आकांक्षी आतंकियों को भी बेकसूरों का बेवजह ख़ून बहाने से बाज आने का ज़बरदस्त संदेश दिया है । पाकिस्तान में दहशतगर्दी के गुरुकुलों और उसके आकाओं सहित फ़ौजी ठिकानों पर भी सटीक हमलों से हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है । पाकिस्तान को ऑपरेशन सिन्दूर ने ये भी अहसास करवा दिया कि चीन की आड़ लेकर भी वो अपनी कुत्सित हरकतों के लिए हमारी सेना के हाथों दण्डित होने से बच नहीं सकता। 

क्या इससे भारत पर हमेशा बदले में हमले का अंदेशा तारी नहीं हो जाएगा ? क्या हम भारत जैसे विविध संस्कृतियों, भाषाओं, मतों, पंथों, धर्मों वाले देश को इसराइल जैसे प्रतिक्रियावादी देश के स्वरूप में ढालने जा रहे हैं? कुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर को प्रधानमंत्री मोदी क्या कोई पहेली बनाना चाहते हैं? हालांकि नाम से तो ऑपरेशन सिंदूर का मकसद बैसरन में हमारी महिलाओं का सिंदूर पोंछने वालों के प्रश्रयदाताओं को सबक सिखाना प्रतीत होता है मगर सुहाग के सिंदूर का रंग अमूमन लाल होने से रक्त की लाल लकीर बहाने की भावना भी प्रतिध्वनित होती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष विराम की घोषणा के बावजूद ऑपरेशन सिंदूर के जारी रहने का एलान करके भ्रामक स्थिति पैदा कर दी है । यदि ऑपरेशन सिंदूर जारी है तो फिर संघर्ष विराम की ट्रम्प की घोषणा और भारत सरकार द्वारा उसकी पुष्टि बेमानी है । यदि ऐसा है तो फिर बत्तीस हवाई अड्डे खोलकर क्या सरकार अपने नागरिकों की जान खतरे में नहीं डाल रही? प्रधानमंत्री द्वारा हरेक आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई घोषित करना भी कहीं अतिरेकपूर्ण निर्णय तो साबित नहीं होगा?

क्या इससे भारत पर हमेशा बदले में हमले का अंदेशा तारी नहीं हो जाएगा ? क्या हम भारत जैसे विविध संस्कृतियों, भाषाओं, मतों, पंथों, धर्मों वाले देश को इसराइल जैसे प्रतिक्रियावादी देश के स्वरूप में ढालने जा रहे हैं? कुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर को प्रधानमंत्री मोदी क्या कोई पहेली बनाना चाहते हैं? हालांकि नाम से तो ऑपरेशन सिंदूर का मकसद बैसरन में हमारी महिलाओं का सिंदूर पोंछने वालों के प्रश्रयदाताओं को सबक सिखाना प्रतीत होता है मगर सुहाग के सिंदूर का रंग अमूमन लाल होने से रक्त की लाल लकीर बहाने की भावना भी प्रतिध्वनित होती है।

अब देखना यही है हरेक आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानने का मोदी डॉक्ट्रिन यानी सिद्धांत फलते फूलते भारत के भविष्य पर क्या असर डालेगा? उम्मीद है की ये मोदी सिद्धांत भारत को चीन के समानांतर वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की हमारी दो दशक लंबी कोशिश पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालेगा!!

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क्योंकि पाकिस्तान सहित दुनिया भर में फैली धर्मांध आतंकवादी जमातों से इस एक घोषणा से अपनी जघन्य हरकतों से बाज आ जाने की उम्मीद करना कहीं अतिशयोक्ति तो नहीं सिद्ध होगी? ऐसे में क्या हरेक स्थानीय अथवा सीमापार की साजिश से हुए आतंकी हमले के लिए हमारी सेना के तीनों अंगों को बार बार जवाबी कार्रवाई के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा? क्या भारत जैसे दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश के सामरिक विवेक की दृष्टि से यह निभ पाएगा?

अब देखना यही है हरेक आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानने का मोदी डॉक्ट्रिन यानी सिद्धांत फलते फूलते भारत के भविष्य पर क्या असर डालेगा? उम्मीद है की ये मोदी सिद्धांत भारत को चीन के समानांतर वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की हमारी दो दशक लंबी कोशिश पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालेगा!!