राहुल गाँधी ने वोट चोरी का आरोप लगाने के साथ-साथ देश के युवाओं से संविधान और लोकतंत्र बचाने की अपील की है। लेकिन एक्स पर इस सिलसिले में डाली गयी पोस्ट में छात्रों और युवाओं के अलावा जेन ज़ी का भी आह्वान किया गया था जिस पर बीजेपी आक्रामक हो उठी है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राहुल गाँधी देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं। नेपाल की तरह भारत में हिंसा कराना चाहते हैं। दरअसल हाल में नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर लगे बैन के ख़िलाफ़ जेन जीं सड़कों पर उतर आयी थी और पुलिस की गोलियों के जवाब में उसने सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक को फूँक डाला था। इसलिए राहुल की पोस्ट में लिखे जेन ज़ी शब्द ने बीजेपी को मौक़ा दे दिया है।
जेन ज़ी के नाम से क्यों डरी मोदी सरकार?
- विश्लेषण
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- 20 Sep, 2025

युवा पीढ़ी जेन ज़ी के मुद्दों पर राहुल गांधी के बयान ने मोदी सरकार को असहज कर दिया है। सरकार की चिंता के कारण और राजनीति में जेन ज़ी की बढ़ती ताकत क्या है?
जेन ज़ी यानी क्या?
जेनरेशन ज़ेड या जेन ज़ी वो पीढ़ी जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई। यानी इनकी उम्र 13 से 28 साल के बीच है। ये वो लोग हैं, जो स्मार्टफोन के साथ बड़े हुए हैं। इंस्टाग्राम पर रील्स बनाते हैं, टिकटॉक पर डांस करते हैं, और डिस्कॉर्ड पर क्रांति की योजना बनाते हैं। लेकिन ये सिर्फ डिजिटल नेटिव्स नहीं; ये वो युवा हैं, जो जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ सड़कों पर उतरते हैं।
अब, दूसरी पीढ़ियों को भी समझ लें, ताकि तस्वीर साफ हो:
- जेन एक्स (1965-1980): ये 45-60 साल वाले लोग हैं। इन्होंने 90 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण को देखा।
- मिलेनियल्स (1981-1996): 29-44 साल की उम्र। फेसबुक और ग्लोबलाइजेशन के दौर में बड़े हुए।
- जेन जे़ड (1997-2012): 13-28 साल। टेक-सेवी, सोशल जस्टिस के लिए जागरूक। पैनडेमिक और क्लाइमेट क्राइसिस झेला।
- जेन अल्फा (2013-आज): 0-12 साल के बच्चे। iPad और AI के साथ बड़े हो रहे। मिलेनियल्स के बच्चे, जो भविष्य में चेंजमेकर्स बनेंगे।
पीढ़ियों का ये अंतर ज़ाहिर है कि शहरी मध्यवर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर किया जाता है। वरना नौजवानों की इस पीढ़ी में करोड़ों खेतों और खदानों में मेहनत कर रहे हैं। कुच अध्ययन बताते हैं कि जेन जीं सबसे डाइवर्स जनरेशन है। रंग, जेंडर, सेक्शुअल ओरिएंटेशन पर ओपन। लेकिन चुनौतियां भी हैं - 83% मेंटल हेल्थ इश्यूज, जैसे एंग्जायटी। फिर भी, ये भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ बेताब हैं। और यही बेताबी उन्हें सरकारों की नज़र में खतरनाक बनाती है।