अब ये साफ़ हो गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झुक गये हैं। भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है और निजी कंपनियाँ भी इसी राह पर हैं। कुछ दिन पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा भी था कि पीएम मोदी ने उनसे रूस से तेल न ख़रीदने का वादा किया था लेकिन विदेश मंत्रालय ने ऐसी किसी बातचीत की जानकारी से इनकार कर दिया था।
रूसी तेल ख़रीद: ट्रंप की धमकियों के सामने मोदी ने फिर किया सरेंडर!
- विश्लेषण
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- 24 Oct, 2025


फाइल फोटो
रूसी तेल खरीद को लेकर ट्रंप प्रशासन की चेतावनियों के बाद मोदी सरकार ने नरमी दिखाई है। क्या यह भारत की ऊर्जा नीति में बदलाव है या अमेरिकी दबाव का नतीजा? प
मोदी-ट्रंप दोस्ती
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर जिस तरह से ख़ुद को न्योछावर किया था, उसकी दूसरी मिसाल नहीं है। सितंबर 2019 में ह्यूस्टन के NRG स्टेडियम में ‘हाउडी मोदी’ आयोजन हुआ, जहाँ 50,000 भारतीय-अमेरिकियों के सामने मोदी ने ट्रंप की तारीफ की और “अबकी बार ट्रंप सरकार” का नारा लगाया था। यह 2020 के अमेरिकी चुनाव के लिए ट्रंप के लिए समर्थन जुटाना था। फिर फरवरी 2020 में अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रंप’ हुआ, जिसमें 1,10,000 लोग जुटे। कोविड की आहट के बावजूद यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वागत समारोह था लेकिन 2020 में ट्रंप चुनाव हार गए और जनवरी 2025 में दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद उनका रुख़ ‘मित्र मोदी’ के प्रति बदला हुआ है।
























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