‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के नारे में क्या राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की तानाशाह बनने की ख़्वाहिश भी छिपी हुई है? हाल ही में अपने कई फ़ैसलों को लेकर तानाशाही प्रवृत्ति होने की आलोचना झेल रहे ट्रंप ने कहा है कि बहुत से लोगों को ‘तानाशाह पसंद’ है। यह बयान न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। ट्रंप का रवैया अमेरिकी संविधान के आधार कहे जाने वाले ‘लिबर्टी’ के सिद्धांत को चुनौती दे रहा है।

ट्रंप का विवादास्पद बयान

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से विवादों के केंद्र में रहे हैं। 25 अगस्त 2025 को व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड की तैनाती और मेट्रोपॉलिटन पुलिस को संघीय नियंत्रण में लेने की अपनी नीति का बचाव किया। उन्होंने डीसी को "नरक" जैसा बताया और कहा कि उनकी नीतियाँ अपराध, बेघरता, और अवैध प्रवास को रोकने के लिए जरूरी हैं। ट्रंप ने कहा, "लोग कहते हैं, हमें इसकी ज़रूरत नहीं है, हमें आज़ादी चाहिए, ये तानाशाह हैं। लेकिन बहुत से लोग कह रहे हैं कि शायद हमें एक तानाशाह पसंद है।" हालाँकि बाद में सफ़ाई देते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं तानाशाह नहीं हूं। मैं एक समझदार और स्मार्ट इंसान हूं।"
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नेशनल गार्ड और पुलिस पर नियंत्रण

नेशनल गार्ड संयुक्त राज्य अमेरिका का एक अर्ध-सैन्य संगठन है, जो रिजर्व फोर्स के रूप में कार्य करता है। सामान्यतः यह राज्य के गवर्नर के अधीन होता है, लेकिन वाशिंगटन डीसी में, जो एक संघीय जिला है, यह सीधे राष्ट्रपति के नियंत्रण में है। 11 अगस्त 2025 को ट्रंप ने डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया होम रूल एक्ट 1973 की धारा 740 का उपयोग करके डीसी की मेट्रोपॉलिटन पुलिस को संघीय नियंत्रण में लिया और 800 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती की, जो बाद में बढ़कर 2000 हो गये। इस तैनाती का उद्देश्य हिंसक अपराध, बेघरता, और अवैध प्रवास को नियंत्रित करना बताया गया। पहले दिन ही 37 गिरफ्तारियां हुईं और 11 अवैध हथियार जब्त किए गए।

डीसी पुलिस और अमेरिकी न्याय विभाग के आँकड़े बताते हैं कि 2024 में हिंसक अपराध 30 साल के निचले स्तर पर था। डीसी मेयर म्यूरियल बाउजर ने ट्रंप के दावों को "झूठा और भ्रामक" बताया और इसे "लोकतंत्र पर हमला" करार दिया।

तानाशाही के आरोप

ट्रंप के कई कदमों ने तानाशाही प्रवृत्ति के आरोपों को हवा दी है। इनमें शामिल हैं:

नेशनल गार्ड की तैनाती: वाशिंगटन डीसी के अलावा, ट्रंप ने जून 2025 में लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड तैनात किये और शिकागो, बाल्टीमोर जैसे डेमोक्रेट-शासित शहरों में भी ऐसा करने का संकेत दिया। डेमोक्रेटिक सीनेटर एड मार्के ने इसे "शहरों को मिलिट्राइज करने की कोशिश" बताया। शिकागो के मेयर ब्रैंडन जॉनसन ने कहा, "यह असंवैधानिक है। शिकागो सैन्य कब्जे की मांग नहीं कर रहा।"

एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स की बाढ़: ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कुछ हफ्तों में 100 से ज्यादा कार्यकारी आदेश जारी किए, जिनमें डायवर्सिटी प्रोग्राम्स को खत्म करना, पर्यावरण नियमों को रद्द करना, और आप्रवासन नीतियों को सख्त करना शामिल है। डेमोक्रेट्स का कहना है कि ये आदेश कांग्रेस को दरकिनार करते हैं।

तीसरे कार्यकाल की बात: ट्रंप ने एनबीसी न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में तीसरे कार्यकाल की संभावना से इनकार नहीं किया, जो अमेरिकी संविधान के 22वें संशोधन का उल्लंघन है। यह बयान रूस के पुतिन और चीन के शी जिनपिंग जैसे नेताओं की तानाशाही शैली की याद दिलाता है।

झंडा जलाने का कानून: ट्रंप ने झंडा जलाने को अवैध बनाने का प्रस्ताव दिया, जो प्रथम संशोधन के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। 1989 में सुप्रीम कोर्ट ने टेक्सास बनाम जॉनसन मामले में इसे संवैधानिक अधिकार माना था।

राजनीतिक विरोधियों पर हमला: न्यूयॉर्क में मेयर उम्मीदवार ताहिर ममदानी को ट्रंप ने "वामपंथी उग्रवादी" कहा और धमकी दी कि अगर वे चुने गए तो न्यूयॉर्क की संघीय मदद बंद कर दी जाएगी। यह उनकी असहमति को दबाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
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लिबर्टी और अमेरिकी इतिहास

अमेरिका की नींव 1776 में अमेरिकी क्रांति के दौरान रखी गई थी, जब 13 कॉलोनियां ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस क्रांति का मूल सिद्धांत व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सरकार की जवाबदेही, और नागरिकों के अधिकार थे। अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति और स्वतंत्रता की घोषणा के मुख्य लेखक थॉमस जेफरसन ने कहा, "सभी मनुष्य समान पैदा हुए हैं और उन्हें जीवन, स्वतंत्रता, और सुख की खोज जैसे अविच्छेद्य अधिकार मिले हैं।" यह विचार जॉन लॉक के दर्शन से प्रेरित था, जिन्होंने सरकार को लोगों की सहमति से चलने वाली संस्था माना।

अमेरिकी संविधान का प्रथम संशोधन, जो 1791 में बिल ऑफ राइट्स के तहत लागू हुआ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा का अधिकार, और सरकार से याचिका दायर करने का अधिकार देता है। द्वितीय संशोधन हथियार रखने का अधिकार देता है। ये सिद्धांत अमेरिकी संविधान में शक्तियों के बंटवारे—कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका—के साथ मिलकर तानाशाही को रोकते हैं।

ट्रंप की गिरती लोकप्रियता

हाल के सर्वेक्षणों ने ट्रंप की लोकप्रियता में कमी दिखाई है। द इकोनॉमिस्ट/यूगव सर्वे (15-18 अगस्त 2025) के अनुसार, केवल 40% अमेरिकी उनके प्रदर्शन को स्वीकार करते हैं, जबकि 56% अस्वीकार करते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर (4-10 अगस्त 2025) में उनकी स्वीकृति रेटिंग 38% थी, जो फरवरी 2025 से 9% कम है। युवा मतदाता (18-29 वर्ष) में उनकी स्वीकृति केवल 29% है, जो उनकी नीतियों के प्रति बढ़ते असंतोष को दिखाता है।
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डेमोक्रेटिक राज्यों का विरोध

ट्रंप के कदमों का न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, और लॉस एंजिल्स जैसे डेमोक्रेट-शासित राज्यों में तीखा विरोध हुआ है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसॉम ने इसे "ऑथोरिटेरियन टेकओवर" बताया। इलिनोइस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर ने इसे "अराजकता फैलाने की कोशिश" करार दिया। लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास ने इसे "राष्ट्रपति की शक्तियों का अतिक्रमण" कहा है। ट्रंप के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जॉन केली ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, "ट्रंप तानाशाही शैली की सरकार को पसंद करते हैं।" मेजर जनरल रैंडी मैनर ने इसे "1930 के जर्मनी" से जोड़ा।

नस्लवाद का आरोप

ट्रंप पर नस्लवाद के आरोप भी लगे हैं। उन्होंने एक एल सल्वाडोर के अप्रवासी को "जानवर" कहा और उसे युगांडा भेजने की बात की। डेमोक्रेटिक राज्यों में अश्वेत और अप्रवासी समुदायों की बड़ी आबादी को निशाना बनाने के आरोपों ने उनके खिलाफ विरोध को और भड़काया है।

क्या ट्रंप तानाशाह बनना चाहते हैं?

क्या ट्रंप वाकई तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं, या यह उनकी रणनीति है अपने समर्थकों को लामबंद करने की? उनके समर्थक उन्हें मजबूत नेता मानते हैं, जो "वामपंथी अराजकता" से देश को बचा रहा है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और प्रेस जैसे संस्थान अभी भी मजबूत हैं, लेकिन ट्रंप की नीतियां और बयान लिबर्टी के सिद्धांत को चुनौती दे रहे हैं।

ट्रंप का “तानाशाह पसंद है" बयान और उनके कदम—नेशनल गार्ड की तैनाती, कार्यकारी आदेश, और संवैधानिक सीमाओं को चुनौती—ने अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठाये हैं। दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दावा करने वाला देश आज एक ऐसी राह पर है, जहां लोकतंत्र को केवल चुनाव तक सीमित करने की कोशिश हो रही है। ट्रंप की शैली न केवल अमेरिका, बल्कि दुनिया के अन्य लोकतंत्रों को भी प्रभावित कर रही है।