‘विभाजन विभीषिका दिवस’ एक स्मृति है, लेकिन क्या यह इतिहास की एक उलटबाँसी भी है? जानिए, कैसे यह दिवस राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से नई बहसों को जन्म देता है।
महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने भी, भारी मन से, विभाजन को स्वीकार किया, क्योंकि ब्रिटिश भारत का 80% हिस्सा स्वतंत्र भारत के लिए सुरक्षित करना और 20% हिस्सा जिन्ना की जिद के लिए छोड़ देना बेहतर समझा गया। यह एक ऐसी कीमत थी, जिसे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने चुकाया ताकि भारत एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में उभर सके।