दुनिया के सबसे ताकतवर और सबसे पुराने लोकतंत्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, आज एक गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। आप्रवासन का मुद्दा, जो लंबे समय से अमेरिकी समाज और राजनीति में विवाद का केंद्र रहा है, अब हिंसक प्रदर्शनों, आगजनी और सैन्य तैनाती के रूप में सड़कों पर उतर आया है। लॉस एंजेल्स, कैलिफोर्निया से शुरू हुआ यह संकट अब 12 राज्यों के 25 शहरों तक फैल चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की “शून्य-सहिष्णुता” नीति और इसके जवाब में कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम द्वारा दायर मुकदमा इस टकराव को और गहरा रहा है। यह केवल नीतियों की लड़ाई नहीं, बल्कि मानवता, समानता और अमेरिकी लोकतंत्र की बुनियाद पर सवाल उठाने वाली जंग है।
अमेरिका में जारी हिंसा और आप्रवासी का सवाल
- विश्लेषण
- |
- |
- 11 Jun, 2025

अमेरिका में हालिया हिंसा की घटनाएँ और आप्रवासी समुदाय पर बढ़ता दबाव कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह आंतरिक सुरक्षा का संकट है या आप्रवासन नीति में बदलाव की ज़रूरत? जानिए इस ज्वलंत मुद्दे की पूरी पड़ताल।
लॉस एंजेल्स: हिंसा की लपटों में
लॉस एंजेल्स, अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा और कैलीफ़ोर्निया का सबसे बड़ा शहर सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, जो आज हिंसा की चपेट में है। यहां की आबादी लैटिनो-बहुल है यानी यहाँ मेक्सिको, मध्य और दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन देशों से आए लोग ज़्यादा हैं। कहा जा रहा है कि यहाँ लगभग 9 लाख आप्रवासी अवैध ढंग से रह रहे हैं। 6 जून, 2025 को आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजेंसी (ICE) ने वेस्टलेक, बेल और कॉम्पटन जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू की। राष्ट्रपति ट्रंप के दावे के अनुसार, ये अवैध आप्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बोझ हैं और इन्हें देश से बाहर करना ज़रूरी है। लेकिन इस कार्रवाई ने स्थानीय समुदायों में गुस्सा भड़का दिया। 8 जून तक प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें गाड़ियों में आगजनी, दुकानों में लूटपाट और पुलिस पर पथराव की घटनाएं सामने आईं। और अगले तीन दिनों में हिंसा ने तमाम दूसरे शहरों को भी चपेट में ले लिया।